प्रसव के उपरान्त किसी-किसी स्त्री को ज्वर आ जाता है जिसे प्रसूतिज्वर अथवा सौरी का बुखार कहते हैं । यह ज्वर कई कारणों से हो सकता है जैसे- जरायु का दूषित हो जाना, फूल का कुछ अंश जरायु में ही रह जाना, प्रसव-क्रिया में कीटाणुरहित उपकरणों का प्रयोग न करना आदि। इसमें ठंड लगना, कॅपकॅपी, पेट व सिर में दर्द, पसीना आना, बेचैनी, घबराहट आदि लक्षण प्रकटते हैं ।
एकोनाइट 30- रोग की प्रथमावस्था में दें जबकि ठंड लगे, नाड़ी तेज चले, जरायु में दर्द हो, प्यास लगे ।
वेरेट्रम विरिडि 2x- अत्यधिक कॅपकॅपी, खींचन, अकड़न, प्राण जाने की आशंका आदि लक्षणों में दें । रोगिणी की स्थिति बिगड़ जाने पर 55 मिनट के अन्तर से तथा स्थिति सुधर जाने पर आधा-आधा घंटे के अंतर से देनी चाहिये ।
बेलाडोना 30- ऑख व चेहरा लाल हो जाना, शरीर के भीतर-वाहर जलन होना, बेचैनी, केवल सिर पर पसीना आना- इन लक्षणों में दें ।
लाइकोपोडियम 30– गरम पसीना आना तथा शरीर में एक के बाद दूसरी जाड़े की लहर उठना- इन लक्षणों में दें ।
चायना 30- अत्यधिक रक्तस्राव हो जाने के कारण कमजोरी आ जाये और ठण्ड लगकर ज्वर आ जाये तो यह दवा दें ।