स्त्री रोग व पेशाब के कई रोगों में उपयोग होता है। ऋतु बहुत देर से होता है, योनिप्रदेश में भयानक जलन, अत्यधिक बदबूदार प्रदर-स्राव, कपड़े में हरा-पीला मिले रंग का ऋतुस्राव अथवा प्रदर-स्राव का दाग लगता है, वह धोने पर भी नहीं छूटता। पेशाब बहुत थोड़ा और बार-बार लगती है, उसके साथ मूत्राशय में भार मालूम होता है व मूत्रनली में जलन, पेशाब होते-होते अचानक बंद हो जाता है, उसके बाद दर्द होता है, पेशाब में बदबू, पेशाब लगने पर उसे रोके नहीं रख सकता, पेशाब लगने पर तुरंत जाना पड़ता है और ऋतु होने से पहले मूत्राशय में इरिटेशन होता है।
पुलेक्स औषधि में निम्न लक्षणों को देखा जाना चाहिए :-
सिर – चिड़चिड़ापन, खिन्नता और उतावलापन रहना। सिर के अगले भाग में दर्द होना, आँखें बड़ी होने जैसी अनुभूति होती है, चेहरा बूढ़ों के जैसा मुरझाया रहता है।
मुँह – मुंह का स्वाद कसैला रहना। गले में धागा अटकने जैसा महसूस होना। सिर दर्द के समय प्यास लगना।
आमाशय – सांस में बदबू रहता है, स्वाद कसैला। पेट फूल जाना और साथ में मिचली, उल्टी महसूस होना। मल में बहुत बदबू रहता है।
पेशाब – पेशाब के समय जलन, थोड़ा-थोड़ा पेशाब की हाजत, मूत्राशय में दबाव पड़ना। पेशाब एकाएक बंद हो जाना और बाद में दर्द होना। पेशाब में बदबू, पेशाब रोक नहीं सकना। मासिक शुरू होने से पहले मूत्राशय में प्रदाह रहना।
स्त्री – मासिकधर्म देर से शुरू होना। मासिक के समय सफेद लार ज्यादा आना। योनि में जलन होना। प्रदर बदबूदार, जहाँ लगता है वहाँ हरे या पीले रंग का दाग लग जाता है, उसे साफ करने में परेशानी होना।
पीठ – टीस मारने जैसा दर्द, पीठ के मांसपेशियों में खींचन।
बुखार – शरीर में तेज आंच, आग के पास बैठने पर भी शरीर काँपता है।
त्वचा – खुजली होना, त्वचा पर चकत्ते पड़ना, त्वचा से बदबू आना।
रोग में वृद्धि – चलने से, बाएं करवट लेटने से।
रोग में कमी – बैठने और लेटने से।
क्रम – उच्च शक्ति।