परिचय : 1. इसे पलाण्डु (संस्कृत), प्याज (हिन्दी), कांदा (मराठी), डुगली (गुजराती), वेंगायम (तमिल), नीरउली (तेलुगु), बसल (अरबी) तथा एलियम सिपा (लैटिन) कहते हैं।
2. प्याज का पौधा 3 फुट तक ऊँचा होता है। प्याज के पत्ते खड़े नली की तरह, गोल और मोटे होते हैं। पत्तों के बीच हरे रंग का लम्बा डण्ठल निकलता है। उसके ऊपरी भाग में गुच्छे में सफेद सुहावने लट्टू की तरह फूल लगते हैं। प्याज के बीज काले, तिकोने होते हैं, जड़ से कन्द निकलता है। यही प्याज हैं।
3. यह भारत में सब जगह मिलता हैं। प्राय: सभी प्रान्तों में इसकी खेती होती है।
4. यह एक प्रसिद्ध कन्द है। इसे भोजन में कई प्रकार से काम में लाया जाता है। प्याज सफेद तथा लाल दो तरह का होता है।
प्याज का रासायनिक संघटन : इसमें सिलापिक्रीन, सिलमिरिन, सिलीनाइन ये तीन कार्यकारी तत्व होते हैं। सिनिस्ट्रीन, कडुवा, तेज गन्धवाला उड़नशील तेज, स्टार्च, कैल्शियम साइट्रेट, 3 प्रतिशत क्षार आदि मिलाते हैं ।
प्याज के गुण : यह स्वाद में मीठा, चरपरा, पचने पर मीठा तथा गुण में भारी, चिकना और गर्म है। नाड़ी-संस्थान पर इसका मुख्य प्रभाव पड़ता है। यह पीड़ाहर, मनोदोष-वर्धक, रुचिवर्धक, यकृत-उत्तेजक, रक्त रोकनेवाला, कफ निकालनेवाला, मूत्रजनक, शुक्रजनक, रसायन, चर्मरोगहर है।
प्याज और घी का संयोग गुणकारी है। प्याज की सब्जी घी से छौंक कर बनाने से अधिक पौष्टिक और स्वादिष्ट हो जाती है। प्याज का रस और घी मिलाकर पीने से ताकत बढ़ती है। कच्चे प्याज के टुकड़ों पर नीबू निचोड़ कर खाने से भोजन जल्दी पचता है। प्याज मिलकर गर्म प्रकृति के बन जाते हैं। अत: गर्भवती स्त्रियाँ दोनों मिलाकर सेवन नहीं करें, केवल प्याज ही लें।
प्याज लाभदायक होते हुए भी किसी-किसी को इससे हानि प्रतीत होती है। गैस बन जाती है। भोजन करने के बाद पेट दर्द होता है। भोजन करने से पहले पाकाशय में धँसते जाने (Sinking) की अनुभूति है, प्यास लगती है। प्याज खा ही नहीं सकता। इस तरह के दुष्प्रभावों को होम्योपैथिक दवा थूजा (Thuja) 200 की तीन खुराक रोजाना दो दिन देने से लाभ हो जाता है। वह प्याज खा सकता है, पचा सकता है। एक प्याज में दो अण्डों के बराबर शक्ति होती है।
मुँहासा, झाँई : मुख पर मुँहासे, झाँई, काले दाग पड़ने पर इसके स्वरस का लेप करें। इसके बीजों को दूध में पीसकर लेप करने से मुख पर सुन्दरता आती है और सिर के बाल नहीं झड़ते।
हैजा : बच्चों को दस्त या हैजा हो जाने पर प्याज का रस 3 माशा से 1 तोला तक चूने के पानी के साथ सेवन कराने से तुरन्त आराम होता है।
बेहोशी : हिस्टीरिया (योषापस्मार), नाड़ीशूल आक्षेप, जल से भय होना (जलत्रास) में प्याज को घी में भूनकर आवश्यकतानुसार देना चाहिए। इसके रस का नस्य देने से बेहोशी दूर होकर तुरन्त होश आता है।
मासिक धर्म : स्त्रियों को मासिक धर्म ठीक न होने या कष्ट से होने पर प्याज की सब्जी, मसाले मिलाकर खिलानी चाहिए। प्याज को पकाकर उसके 5 तोला रस में पुराना गुड़ 1 तोला मिलाकर लेने से भी मासिकधर्म साफ होता है।
नाड़ीशूल : नाड़ीशूल और फोड़े की सूजन पर प्याज पीस तेल में भूनकर बाँधना चाहिए।
सौंदर्यवर्धक – नित्य प्याज खाने से रूखी-सूखी त्वचा कोमल और चिकनी ही जाती है। रक्त साफ होता है, त्वचा के सारे विकार नष्ट हो जाते हैं। प्याज सौंदर्य बढ़ाता है। स्त्रियों के शरीर में तो प्याज ऐसा परिवर्तन लाता है कि शरीर में ललाई, गोरापन, अंग-अंग में भराव लाकर शरीर को सुडौल बना देता है। युवक-युवतियाँ पाँच चम्मच प्याज का रस और दस चम्मच शहद नित्य चाटें। चेहरा चमकेगा।
काले धब्बे – शरीर में कहीं भी काले धब्बे हों, धब्बे बढ़ते ही जा रहे हों तो नित्य प्याज का रस लगाते रहें। कालापन समाप्त हो जायेगा।
स्मरण-शक्तिवर्धक – प्याज और अदरक का रस और घी प्रत्येक 1-1 चम्मच मिलाकर नित्य दो बार कुछ सप्ताह पियें। इससे स्मरण-शक्ति बढ़ जायेगी।
पेट के रोग – पेट दर्द, अपच, गैस, भूख कम लगना आदि में प्याज, लहसुन, अदरक का रस सब एक-एक चम्मच, तीन चम्मच शहद मिलाकर खाना खाने से पहले नित्य दो बार चाट लें।
पेशाब बन्द, बार-बार आना – 50 ग्राम प्याज के टुकड़े एक किलो पानी में उबालें। इसे छानकर स्वादानुसार शहद मिलाकर तीन बार पियें। लाभ होगा।
खाँसी – एक किलो पानी में आधा किलो प्याज के टुकड़े, चार सौ ग्राम बूरा मिलाकर अच्छी तरह उबालकर ठण्डा करके छानकर पचास ग्राम शहद मिलाकर बोतल भर लें। नित्य दो-दो चम्मच चार बार पियें। खाँसी ठीक हो जायेगी। खाँसी में कफ की गड़गड़ाहट हो तो समान मात्रा में प्याज का रस और शहद मिलाकर दो-दो चम्मच चार बार पियें। कफ बाहर निकल आयेगा।
जुकाम, गले में खरास हो तो एक भूना हुआ प्याज सुबह-शाम नित्य खायें।
पीलिया – तीन चम्मच प्याज के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर नित्य प्रात: भूखे पेट चाटें।
जलन – शरीर में कहीं भी जलन हो, प्याज की चटनी का लेप करें या रस लगायें।
दाँत निकलना – प्याज के सेवन से कैल्शियम की पूर्ति हो जाती है। दाँत निकलते समय कोई भी रोग हो, आधा-आधा चम्मच प्याज का रस और शहद मिलाकर नित्य एक बार पिलाने से लाभ होता है।
मोतियाबिन्द : नेत्रों में वेदना या मोतियाबिन्द हो तो प्याज का रस और मधु समान तथा भीमसेनी कपूर चौथाई भाग मिलाकर रात्रि को आँख में लगाने से लाभ होता है। मोतियाबिन्द शीघ्र नहीं उतरता।
कर्णशूल : प्याज के स्वरस को गर्म करके कान में डालने से कर्णशूल शान्त हो जाता हैं।
प्याज से सावधानी : उष्ण प्रकृतिवाले को भोजन में प्याज का प्रयोग अधिक नहीं करना चाहिए।