कृमि – पानी में औंटाकर क्वाशिया का काढ़ा मलद्वार की राह से पिचकारी द्वारा प्रयोग करने से सब कृमि निकल जाती है ( यह बाजार में पंसारी की दुकानों में मिल जाती है ), होमियोपैथिक शक्तिकृत दवा से – पाचनयंत्र पर उक्त क्वाशिया बलवर्धक के रूप में क्रिया प्रकट करती है। आँखों पर क्रिया प्रकट करके – यह औषधि आँख का गँदलापन ( dimness ) और मोतियाबिन्द ( cataract ) इत्यादि रोग पैदा कर सकती है।
पाकस्थली की बीमारी – मंदाग्नि ( dyspepsia ), पेट में वायु जमना, अम्ल होना, छाती में जलन, पेट में अम्ल का दर्द, खाई हुई चीज की कै हो जाना।
पेशाब की बीमारी – लगातार पेशाब करने की इच्छा बनी रहना, पेशाब लगने पर फिर देर सहन नहीं होना, दिन-रात खूब ज्यादा परिमाण में पेशाब होना, बच्चे का बिछौने से उठते ही पेशाब कर देना।
हमेशा जम्हाई और अंगड़ाई लेना, पीठ में ठण्डापन महसूस होना, पेट और अंगों में भी ठण्डापन रहना।
क्रम – 1 से 3x शक्ति।