[ पके फल से टिंचर तैयार होता है ] – साघारण कमजोरी, इन्द्रियशक्ति की कमजोरी, मूत्राशय मुखशायी ग्रन्थि का बढ़ना, पेशाब करने में भयानक तकलीफ और अत्यंत यंत्रणा, डिम्बकोष ( ovary ) का बढ़ना और दर्द। ये कई इसके विशेष लक्षण हैं। स्त्रियों के स्तन, जरायु प्रमृति के ऊपर भी इसकी क्रिया दिखाई देती है ; स्तन सिकुड जाते हैं, बढ़ते नहीं।
पुरूषों के मूत्राशय ( ब्लाडर ) की ग्रीवा के पास जहाँ मूत्रनली ( युरेथ्रा ) आरम्भ हुई है, वहाँ देखने में ठीक अखरोट के तरह की प्रोस्टेट ( मूत्राशय-मुखशायी ग्रन्थि ) नाम की एक ग्रन्थि उस ग्रीवा को घेरे हुए है, उस ग्रन्थि के पास के किसी यन्त्र के प्रदाह जैसे – यूरेथ्राइटिस, मूत्राशय की पथरी, स्ट्रिक्चर, प्रमेह, वात और कोई उत्तेजक दवा इत्यादि का सेवन इत्यादि कारणों से उस मूत्राशय-मुख-शायी ग्रन्थि का प्रदाह होता है। इसी प्रोस्टेटाइटिस ( मूत्राशय-मुखशायी ग्रन्थि का प्रदाह) होने पर जननेन्द्रिय की जड़ की तरफ और मलद्वार के पास टपक होती है। पेशाब, लगातार कष्ट देने वाला वेग, बहुत देर तक काँखने और वेग देने के बाद थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बूँद-बूँद पेशाब निकलना, कभी-कभी पेशाब न होना, शीत भाव, ज्वर, इस तरह के कई उपसर्ग ( प्राथमिक प्रदाह के लक्षण) प्रकट होते हैं और इससे – बेलेडोना, मर्क्यूरियस, कैन्थर; हिपर, नाइट्रिक ऐसिड प्रभृति कई दवाओं का प्रयोग होने पर भी यदि उनसे फायदा न हो या प्राथमिक प्रदाह के बाद जब सिर्फ ग्लैण्ड बड़ी हो जाती है, उस समय – सैबाल सेरूलैटा से विशेष उपकार होता है ।
पुरुषों की 60 वर्ष की उमर में अपने आप ही प्रोस्टेट ग्लैण्ड बढ़ जाती है । पेशाब करने में कष्ट, जलन, यन्त्रणा, एका एक चक्कर खाकर पेशाब निकलना, पेशाब की नली में मानो कुछ अड़ता है या अटका हुआ है, ऐसा अनुभव होना इत्यादि कितने ही लक्षण दिखाई देते है।
सैबाल सेरूलैटा – इसकी प्राय: एक प्रकार की पेटेंट दवा है । मदर टिंचर की 10 बूँद की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करना चाहिए। रोग की तेजी के अनुसार 30 बूँद तक प्रति मात्रा में कभी-कभी उपयोग होता है ।