नयी और पुरानी सर्दी, नया फैरिन्जाइटिस, गलनली में और स्टर्नम के पीछे दर्द, इन्फ्लुएंजा, माथे और आँख में दर्द, आँख से पानी गिरना, नाक का चिपक जाना इत्यादि कई बिमारियों में इसका व्यवहार होता है।
पॉलिपस – नाक का पॉलिपस (रक्त – अबुर्द) और टार्बिनेटस का बढ़ना – सैंगुनेरिया नाइट्रेट इस रोग की बढ़िया दवा है। बहुत ज़्यादा परिमाण में पानी की तरह बलगम निकलना, नाक के भीतर जलन या नाक सुखी, बहुत थोड़ा बलगम निकलना, नाक के भीतर पपड़ी जमती है, उसको निकालने पर खून निकलता है, छींक, नाक के भीतर जख्म की तरह दर्द, पानी की तरह सर्दी निकलने के साथ नाक की जड़ में दबाव मालूम होना प्रभृति लक्षणों में यह फायदा करती है। 5-7 मिनटों के अंतर से छींक, दाहिनी नाक से लगातार पानी गिरता है।
स्वर यन्त्र में जलन और जख्म की तरह दर्द; गला फँसना, स्टर्नम-अस्थि ( वक्षोस्थि) अर्थात छाती की हड्डी के पीछे जहाँ वायुनली दो भागो में बँट गयी है, वहॉँ भयानक दर्द के साथ आक्षेपिक खाँसी, खाँसने पर दर्द का बहुत बढ़ जाना, गाढा, पीला या खून मिला बलगम निकलना, दाहिनी ओर के तालु-मूल में दर्द, निगलने में कष्ट, ये लक्षण भी इस दवा के अंतर्गत है। सवेरे बिस्तर से उठकर जरा इधर-उधर घूमने पर ही खाँसी आने लगती है।
सदृश – एरम ट्राइफाइलम, सोरिनम, कैली बाइक्रोम।
क्रम – 3x, 6x शक्ति। इसके विचूर्ण का भी भीतरी प्रयोग होता है, नाक के पॉलिपस में – 1x शक्ति का 20 ग्रेन, 1 औंस ग्लिसरीन में मिलाकर लगाना चाहिये।