इसका हिंदी नाम भटकटैया या रेंगनी है। यह दीर्घकाल से हमारे देश में औषधि के रूप में उपयोग होता आ रहा है। कण्ठरोग में यह विशेष लाभदायक है। हर प्रकार के स्वरभंग विशेषकर शिशुओं के स्वरभंग के साथ सर्दी-खांसी में यह अधिक लाभदायक है।
शिशुओं के न्युमोनिया, ब्रोंकाइटिस प्रभृति के बाद सूखी कष्टदायक खांसी व उसके साथ स्वरभंग रहने पर इससे शीघ्र ही फायदा होता है। प्यास, कै, अरुचि, खाँसी, छाती के दोनों बगल दर्दजनित नए ज्वर में, मूत्र बंद व मूत्र पथरी रोग में भी उपकारी है।
गला बैठ जाए तो इस मेडिसिन की मदर टिंक्चर की 10 बून्द आधे कप पानी में डाल कर दिन में 3 बार लें, गला ठीक हो जायेगा।