चलने-फिरने, काम करने, दौड़ने आदि से पैर कभी-कभी ऊँचे-नीचे स्थान पर पड़ जाता है जिसकी वजह से मोच आ जाती है । कभी-कभी हाथ या गर्दन में भी किसी कारणवश मोच आ जाती है । मोच में नसें या तो इधरउधर हट जाती हैं अथवा कुचल जाती हैं । मोच वाली जगह फूल जाती है और उसमें दर्द भी होता है । मोच आने पर लक्षणों के अनुसार ‘चोट लगना’ शीर्षक में बताई गई दवायें ही दी जाती हैं । कुछ दवायें यहाँ पर बताई जा रही हैं ।
आर्निका 30- माँसपेशियों में कुचलने की वजह से, चोट लगने की वजह से, मोच आने की वजह से, गिर जाने की वजह से दर्द होने लगे और वह स्थान फूल जाये तो यह दवा लाभ करती है । आर्निका Q को दस गुने ताजा पानी में मिलाकर पट्टी बाँधना लाभप्रद है ।
रसटॉक्स 30– मोच या चोट जोड़ों पर लगे, मोच या चोट बहुत पुरानी हो, आर्निका से आराम न हो या थोड़ा आराम होकर रुक जाये तब यह दवा देनी चाहिये ।
सिम्फाइटम 1M- मोच या चोट हड्डी में लगी हो और वहाँ पर दर्द भी हो तब यह दवा देनी चाहिये ।