आत्महत्या के अधिकांश प्रकरण किशोरावस्था में अधिक देखे जाते हैं, परन्तु इसका यह अर्थ नहीं है कि बचपन या युवावस्था में आत्महत्या के प्रकरण नहीं मिलते । वृन्द्रावस्था में आत्महत्यायें प्रायः कम की जाती हैं । आत्महत्या के विचार या दूसरों की हत्या के विचार को भी रोग की श्रेणी में रखा जाता है- यहाँ इनका ही उपचार प्रस्तुत हैं ।
हत्या या आत्महत्या की इच्छा/सुविधा मिलने पर आत्महत्या कर लेनाऑरम मेटालिकम 200- यह दवा विशुद्ध सोने से बनायी जाती है । इस दवा में मानसिक अवसाद अधिक दिखाई पड़ता है । ऐसे रोगी जिनमें आत्महत्या करने की इच्छा होती है और वे अपने जीवन से निराश होकर सोचा करते हैं कि उनका जीना व्यर्थ हैं, जीने से अच्छा है कि वे आत्महत्या कर लें और सुविधा मिलने पर आत्महत्या भी कर लेते हैं। इसके अतिरिक्त रोगी में किसी दूसरे व्यक्ति की हत्या की प्रवृत्ति भी पाई जाती है। रोगी में यह इच्छा घरेलू कारणों या आतशक या पारा दोष के कारण होती है । ऐसे रोगियों की मानसिकता को यह दवा बदल देती है व उन्हें आत्महत्या या हत्या के विचारों से मुक्ति दिला देती है ।
आत्महत्या की इच्छा परन्तु डर-नक्सवोमिका 1M, 10M- यह दवा कुचला से बनाई जाती है। इसके रोगी में भी आत्महत्या की प्रवृत्ति देखी जाती है परन्तु फर्क यह है कि इसका रोगी आत्महत्या करने से डरता है। यह दवा सर्द प्रकृति के रोगियों पर विशेष लाभकारी है । आत्महत्या की इच्छा परन्तु डर- यह लक्षण आर्सेनिक में भी पाया जाता है परन्तु आर्सेनिक में बेहद बेचैनी होती है और रोगी सफाई पसन्द होता है ।
आत्महत्या करना चाहे परन्तु मृत्यु से डर-नैजा 200– यह दवा कोबरा सर्प के विष से बनाई जाती है । इसका रोगी आत्महत्या तो करना चाहता है परन्तु मृत्यु से डरता है । रोगी पर अन्य रोगों के आक्रमण बाँयी तरफ अधिक होते हैं और रोगी की सभी परेशानियों का केन्द्र बिन्दु हृदय होता है । वैसे सर्पदंश में इसका अधिक प्रयोग होता है । इसकी एक मात्रा प्रति सप्ताह देनी चाहिये ।
जिन्दगी से निराशा, सिर में चक्कर, आत्महत्या की प्रवृति- आर्जेण्टम नाइट्रिकम 30, 200, 1M- यह गर्म प्रकृति की दवा है । इसका रोगी अपने जीवन से निराश होकर आत्महत्या करना चाहता है । उसका मन कामकाज में नहीं लगता । अक्सर दिमाग से कार्य करने वालों की निराशा आदि मानसिक विकारों की दवा है । ऊँची मीनार या बिल्डिंग देखकर तथा चलते हुये वाहनों को देखने से भी रोगी को चक्कर आने लगते हैं । चलते समय पैर लड़खड़ाते हैं । इसके आत्महत्या के रोगी को इस दवा की उच्चशक्ति देने से उसका मानसिक तनाव कम हो जाता है और वह आत्महत्या का विचार छोड़ देता है । दवा को नियमित रूप से देते रहना चाहिये ।
दूसरों की हत्या की योजना बनाना- प्लेटिना 200- इसका रोगी हमेशा दूसरों की हत्या करने की योजनायें बनाता है तथा स्वयं को अन्य व्यक्तियों से श्रेष्ठ समझता है। इसके रोगी को भूत-प्रेत आदि का भी डर बना रहता है । कभी उदास होकर मृत्यु को समीप देखता है । सिर में तनाव व सुईयाँ चुभने का उसे अहसास होता है। इस व्यक्ति को वस्तु अपने वास्तविक आकार से छोटी दिखाई देती है । पुरुषों में हस्तमैथुन आदि के कारण यह लक्षण उत्पन्न होते हैं । यह गर्म प्रकृति के रोगियों पर ही प्रयुक्त होती है ।
हत्या या आत्महत्या की योजना- आयोडम 1M, CM- यह उष्ण प्रकृति की दवा है । रोगी स्वयं अपनी हत्या करने या अन्य किसी व्यक्ति की हत्या की योजना बनाता है या विचार रखता है और मौका मिलते ही वह आत्महत्या या हत्या भी कर देता है । इसका रोगी दुर्बल होता है जिसे अत्यधिक भूख लगती है । रोगी का रंग साँवला होता है तथा बाल काले होते हैं । वह अकसर कंठमाला से ग्रसित होता है । ऐसी प्रवृत्ति पर इस दवा की उच्चशक्ति का प्रयोग अच्छा रहता है ।
चाकू या खून देखकर अपने या दूसरे की हत्या का विचार- एल्युमिना 30, 200- इस दवा का रोगी अगर चाकू या धारदार हथियार या खून को देख लेता है तो उसकी अपनी या दूसरों का खून कर देने की इच्छा प्रबल हो जाती है। इसके रोगी को समय बहुत धीरे-धीरे बीतता मालूम होता है।
डॉ० सत्यव्रत ने लिखा है कि इसका रोगी आत्महत्या भी करना चाहता है। इसके रोगी की रुधिर-गति शिथिल होती है और सर्दी के दिनों में उसके हाथ-पैर ठंडे हो जाते हैं । डॉ० केन्ट के अनुसार यह सर्द प्रकृति की दवा है परन्तु डॉ० बोगर के अनुसार यह गर्म प्रकृति की दवा है ।
नाई का हजामत करते समय गला काटने का विचार- हिपर सल्फर 200- इसके रोगी के (विशेषकर नाई जब ग्राहक की हजामत बना रहा होता है तब उसके) मन में विचार आता है कि निकटस्थ व्यक्ति (ग्राहक) का गला उस्तरे से काट दे ।
माँ अपने बच्चे को आग में फेंकना चाहे- नक्सवोमिका 200, 1M – इसके रोगी की विचारधारा बड़ी ही अद्भुत होती है । माँ अपने बच्चे को आग में फेंक देना चाहती है तथा जिस पति से प्रेम करती हैं उसे मार डालना चाहती है ।
आत्महत्या करने की इच्छा- सिमिसिफ्युगा 200, 1M- इस दवा का दूसरा नाम एक्टिया रेसिमोसा भी है । इस दवा के रोगी को आत्महत्या करने की इच्छा होती है । परन्तु इस दवा की विशेष क्रिया स्त्रियों के शरीर में अधिक होती है । ऐसी स्त्रियाँ हिस्टीरिया रोग से ग्रसित होती हैं । रोगिणी का मासिकधर्म अनियमित होता है। रोगिणी स्वयं को बादलों से घिरी अनुभव करती है और उसका चेहरा भयानक प्रतीत होता है । रोगिणी को हमेशा बनावटी आवाजें सुनाई देती हैं । वह क्रोधी और चिड़चिड़ी होती है ।
आत्महत्या की प्रवृत्ति पर नियंत्रण रखना- नैट्रम सल्फ 200, 1M – इसका रोगी कहता है कि उसे आत्महत्या की प्रवृत्ति को दबाये रखने के लिये स्वयं पर काफी नियन्त्रण रखना पड़ता है ।
अपने को गोली मारने की इच्छा- एन्टिम कूड 10M- रोगी का मन करता है कि वह अपने को गोली मार ले ।
रोगिणी आत्महत्या करना चाहे परन्तु मरने से डरती हो- पल्सेटिला 200, 1M- रोगिणी आत्महत्या तो करना चाहती है परन्तु मरने से डरती है । रोगिणी की शारीरिक संरचना मोटी-ताजी होती हैं | वह लज्जाशील, स्वभाव से कोमल और गर्म प्रकृति की होती है । यह दवा केवल स्त्रियों के लियें ही प्रयोग की जाती हैं ।