थायराइड गले में स्थित एक ग्रंथि होती है जो थायराइड हार्मोन बनाती है। साथ ही साथ फूड को एनर्जी में परिवर्तित करती है।
थायराइड फंक्शन टेस्ट क्या होता है ?
आपको बता दें कि थायराइड फंक्शन टेस्ट रक्त परीक्षणों की एक श्रृंखला होती है जिसे यह मापने के लिए उपयोग किया जाता कि थायराइड ग्रंथि अच्छे से काम कर रही है या नहीं। थायराइड टेस्ट के लिए टी3, टी3 आरयू, टी4 एवं टीएसएच टेस्ट किए जाते हैं।
थायराइड एक छोटी ग्रंथि होती है जो गर्दन के निचले भाग में आगे की तरफ स्थित होती है। यह शरीर की क्रियाओं को नियमित रूप से चलाने में मदद करती है। जैसे – आपका मूड, ऊर्जा उत्पादन इत्यादि।
थायराइड दो प्रमुख हार्मोन पैदा करता है:-
ट्राईआयोडोथायरोनिन (Tri-iodine thyronine T3) एवं थायरोक्सिन (Thyroxine T4)। यदि आपकी थायराइड ग्रन्थि इन हार्मोन्स को बनाने में असक्षम रहता है तो ऐसी स्थिति में आपको वजन बढ़ने, ऊर्जा की कमी जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है। ऐसी स्थिति को हम हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं।
आपको बता दें कि यदि आपके थायराइड की ग्रंथि बहुत सारे हार्मोन्स पैदा करती है तो वजन कम होने की शिकायत, डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। इस स्थिति को हम हाइपरथाइरॉयडिज़्म कहते हैं।
आमतौर पर डॉक्टर्स थायराइड हार्मोन्स के स्तरों के बारे में पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट करते हैं जिसे हम ‘थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन’ (TSH) भी कहते हैं। यदि इस टेस्ट से परेशानी का पता नहीं चलता है तो डॉक्टर्स अन्य टेस्ट कराने के लिए कहते हैं।
थायराइड फंक्शन टेस्ट के दौरान आपको यह जानना जरुरी है कि यदि आप किसी प्रकार का दवा ले रहे हैं या यदि आप गर्भवती हैं तो किसी अच्छे डॉक्टर से बात करें। कुछ दवाओं के सेवन से, या गर्भवती होने से टेस्ट का रिजल्ट प्रभावित हो सकता है
वेनीपंकचर जिसे (रक्त निकलना) भी कहा जाता है, प्रयोगशाला या डॉक्टर के द्वारा की जाने वाली एक मेडिकल प्रक्रिया है। इसके अंतर्गत जब आप टेस्ट के लिए जाते हैं तो पेशेंट को एक कुर्सी पर बैठने के लिए बोला जाता है। साथ ही साथ यदि आप फूल बाजू के कपड़े पहने हैं तो इसे फोल्ड करने को भी कहा जाएगा ताकि टेस्ट अच्छे से की जा सके।
इसके डॉक्टर या कंपाउंडर आपके बांह के ऊपरी हिस्से पर एक रबर ट्यूब को कसकर बांधेंगे। यदि उन्हें आपका नस दिख गया तो वह नस में एक सुई डालकर आपके शरीर से रक्त निकल लेंगे। इसके बाद टेस्ट टयूब में भरकर जांच के लिए लैब में भेज देंगे। इसके बाद आप अपना काम सामान्य तरीके से कर सकते हैं।
थायराइड फंक्शन टेस्ट का परिणाम
- टी4 टेस्ट (T-4 Test) और टीएसएच टेस्ट (TSH Test)
- आपको बता दें कि टी4 टेस्ट (T-4 Test) और टीएसएच टेस्ट (TSH Test) दो सबसे आम थायराइड टेस्ट होते हैं। आमतौर पर इन्हें एक साथ करने को कहा जाता है।
- टीएसएच टेस्ट (TSH Test) का काम है शरीर के थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन के लेवल को मापता है। इसका सामान्य स्तर 0.4 एवं 4.0 एमआईयू/ एल (MIU/L) होता है।
- टी4 (T-4) टेस्ट को हम थायरोक्सिन टेस्ट के नाम से भी जानते हैं। टी-4 टेस्ट ओवरएक्टिव थायराइड ग्रंथि यानि हाइपरथाइरॉयडिज़्म को दर्शाता है। इसके लक्षणों में चिंता, अचानक वजन घटना एवं दस्त शामिल होते हैं।
नोट – यदि आपको हाइपरथाइरॉयडिज़्म के लक्षण दिखते हैं तो आप तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें। इसके कई लक्षण हैं जैसे – वजन बढ़ना, थकान महसूस होना, दोमुंहे बाल, अवसाद शामिल हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपको एक बार थायराइड फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह जरूर देंगे।
आपको ये भी बता दें कि अंडरएक्टिव थायराइड ग्रंथि की पहचान करने के लिए टी4 और टीएसएच टेस्ट नियमित रूप से नवजात बच्चों पर किया जाता है।
टी3 टेस्ट (T-3 Test)
- टी3 टेस्ट हॉर्मोन ट्राईआयोडोथायरोनिन (Triiodothyronine) विभिन्न स्तरों की जांच करता है। आमतौर पर यह टेस्ट तब करवाया जाता है जब T4 टेस्ट और TSH टेस्ट के बाद हाइपरथाइरॉयडिज़्म की आशंका बढ़ जाती है। यदि शरीर में ओवरएक्टिव थायराइड ग्रंथि के लक्षण दिख रहे हैं, तब भी डॉक्टर आपको T3 टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।
- टी3 टेस्ट सामान्य स्तर है जिसमें खून के प्रति 100 मी.ली. में हार्मोन के 100-200 नैनो ग्राम के दस करोड़वाँ हिस्सा होता है।
- असामान्य रूप से ज्यादा स्तर ग्रेव्स डिजीज का लक्षण होता है। यह हाइपरथाइरॉयडिज़्म से संबंधित एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होता है।
T-3 रेजिन अपटेक टेस्ट
- T3 Resin Uptake test जिसे हम (T3RU) भी कहते हैं, एक ब्लड टेस्ट होता है जो ग्लोब्युलिन (टी बी जी) नामक हार्मोन को मापता है। आपको बता दें कि यदि आपका टी3 स्तर बढ़ा हुआ है तो आपका (टी बी जी) स्तर कम होना चाहिए।
- टीबीजी का सामान्य रूप से बढ़ा हुआ स्तर अक्सर गुर्दे की किसी समस्या का संकेत देता है या फिर शरीर में भरपूर मात्रा में प्रोटीन न मिलने का भी।
- टीबीजी का असमान्य रूप से कम स्तर शरीर में एस्ट्रोजन को बढ़ने का संकेत देता है। इसके स्तर में बढ़ोतरी के कई कारण होते हैं जैसे – गर्भावस्था, एस्ट्रोजन युक्त खाद्य पदार्थ, मोटापा या हार्मोन रिप्लेसमेंटथेरेपी इत्यादि।