‘दांत खट्टे कर देना’ यूं तो एक मुहावरा है, जिसका अर्थ होता है किसी को पराजित कर देना या हरा देना, मगर दांतों का खट्टा एवं सनसनी रहना एक बीमारी भी है। वैसे तो कोई भी खट्टी वस्तु खाने के बाद थोड़ा-बहुत खट्टापन किसी के भी दांतोंको महसूस हो सकता है, लेकिन यदि कुछ भी खाने पर दांतों में लगे, चुभन हो, सनसनी-सी महसूस हो व दांत खट्टे रह जाएं, तो निश्चय ही यह दांतों की अतिसंवेदनशीलता (हाइपर सेंसिटीविटी) रोग के लक्षण हैं और कोई भी व्यक्ति, किसी भी उम्र में इस रोग से प्रभावित हो सकता है। ऐसे प्रभावित व्यक्तियों को सिर्फ खट्टी वस्तुएं ही नहीं, वरन् आइसक्रीम, गर्म-ठंडी वस्तुएं, पानी आदि भी दांतों पर चुभता हुआ महसूस होता है।
बच्चों में चॉकलेट एवं मिठाई, आइसक्रीम आदि अधिक खाने से, दांतों में कीड़ा लगने से, पान, पान-मसाला, तम्बाकू, बीड़ी-सिगरेट आदि खाने-पीने से भी यह बीमारी बढ़ती है।
लक्षण एवं उपचार
• यदि मौसम-परिवर्तन होने पर दांतों में कोई परेशानी बढ़े, तो ‘रोडेडेण्ड्रान’30 शक्ति में लें।
• ठंडी वस्तुओं को खाने से चुभन या सनसनी हो (अतिसंवेदनशीलता), तो ‘कैल्केरिया कार्ब’, ‘मरक्यूरियस’ एवं ‘नक्सवोमिका’ औषधियां कारगर रहती हैं।
• दांतों को छूने या आपस में टकराने पर कोई परेशानी हो, तो ‘रोडोडेण्ड्रान’ 30 शक्ति में लें।
• तम्बाकू पीने के कारण दांतों में अतिसंवेदनशीलता हो, तो ‘इग्नेशिया’ 30 शक्ति में व ‘स्पाइजेलिया’ 30 शक्ति में लाभप्रद रहता है।
• गर्म वस्तुओं को खाने पर अतिसंवेदनशीलता हो, तो ‘कॉफिया कूडा’ 30 शक्ति में लें। लाभ न होने पर 200 शक्ति की तीन खुराक ‘कॉस्टिकम’ औषधि भी लें।
• प्यास अधिक लगती हो व मुंह में लार भी अधिक बनती हो, तो ‘मरक्यूरियस’ 30 शक्ति में लें।
• यदि दर्द एक दांत से दूसरे दांत में परिवर्तित होता रहे, तो ‘पल्सेटिला’ 30 शक्ति में लें। ‘साइलेशिया’ भी फायदेमंद रहती है।
• यदि दांतों व मसूड़ों में फोड़ा बन गया हो, तो ‘फ्लोरिक एसिड’ पहले 30 शक्ति में व दो-तीन दिन बाद 200 शक्ति की दो-तीन खुराकें लें।
• यदि दांतों में कीड़ा लगा हो, तो ‘क्रियोजोट’ 30 शक्ति में लें।
• यदि मसूड़ों से खून व मवाद भी आता हो, तो ‘स्टेफिसेग्रिया’ 30 शक्ति में ‘मरक्यूरियस’ 200 शक्ति में दें।