[ एक प्रकार के छोटी जाति के गाछ से टिंचर तैयार होता है ] – बहुत दिनों तक दवा का सेवन कर जिनका स्वास्थ्य क्रमशः बहुत ख़राब हो पड़ा हो, उनकी धातु के लिए यह ज्यादा लाभदायक है। नाक की पुरानी सर्दी, बदबूदार पपड़ी जमना, नाकड़ा, साँस में बदबू, किसी चीज की गंध नहीं मिलना, पॉलिपस ( polypus ), सर्दी से नाक बंद हो जाना, इन कई बीमारियों में और लक्षणों में यह ज्यादा फायदा करती है।
ओजिना – इसके साथ ही बहुत ज्यादा परिमाण में पीले रंग का बदबूदार स्राव और नाक के पॉलिपस में सैंगुनेरिया भी फायदा करती है। इसके अलावा – नाक सूखी, नाक में जख्म, नाक से रक्तस्राव, प्रत्येक ऋतू-परिवर्तन में सर्दी लग जाना, ये सभी लक्षण कैल्केरिया कार्ब में भी पाए जाते हैं। इसलिए इस बीमारी में किसी भी एक दवा से फायदा न होने पर रोगी की धातु के अनुसार ये दोनों दवाएं पर्याय दिन के अंतर से उपयोग करने से हल्दी फायदा हो सकता है। ट्यूक्रियम में नाक बहुत बहता है, छींकें आती है, किसी चीज का गंध नहीं मिलता और नाक के अंदर बार-बार उंगली लगाना पड़े, बहुत दिन से नाक बंद रहे तो ट्यूक्रियम 30 पोटेंसी की 2 बून्द सुबह-शाम लेने से ऊपर के लक्षण सब ठीक हो जाते हैं।
ट्यूक्रियम – छोटी-छोटी सूत-कृमि का उत्तम औषध है। इस जाति की कृमि प्रायः किसी भी दवा से एकदम मर नहीं जाती, इसकी और भी कितनी ही दवाएँ हैं ( बड़ी कृमि के लिए – चेनोंपोडियम ) .
क्रम – 2x, 6, 30 शक्ति।