Theridion का व्यापक-लक्षण तथा मुख्य-रोग
(1) अांखें बन्द करते ही या शोर से घुमेरी या चक्कर आ जाना (Vertigo on closing the eyes) – डॉ० नैश का कहना है कि उन्होंने इस लक्षण को ठीक-से आजमा कर देख लिया है। किसी भी रोग में अगर आँखें बन्द करते ही घुमेरी या चक्कर आ जाय, तो Theridion से लाभ होता है। मन्दिर, मस्जिद गिरजे में आखें बन्द करके प्रार्थना करते समय भी चक्कर आ जाता है। अांखें बन्द करने से जी मिचलाने लगता है। इस औषधि में चक्कर आने का दूसरा लक्षण यह है कि जरा-से शोर से, कपड़े को फाड़ने, दरवाजे को बन्द करने, किसी भी आहट से रोगी को चक्कर आ जाता है। जरा-सा भी शोर का शब्द रोगी के सम्पूर्ण शरीर में मानो घुसता चला जाता है। शोर से चक्कर आ जाना विलक्षण-लक्षण है। थोड़ी-सी आवाज़ भी शरीर को भेद देती है। दांत के दर्द में ऐसा अनुभव होता है कि आवाज़ दांत को भेद कर भीतर चली जा रही है और रोगी को मिचली आने लगती है।
(2) रीढ़ में नाजुकपना – रोगी के रीढ़ की हड्डी नाजुक होती है, उसमें दर्द होता है, रोगी कुर्सी पर टेढ़ा होकर बैठता है जिस से रीढ़ की हड्डी पर जोर न पड़े, जोर पड़ जाने से दर्द होता है।
(3) पीठ में नीचे के स्थान में जलन – डॉ टायलर पिकरिक ऐसिड पर लिखती हुई होम्योपैथिक ड्रग पिक्चर्स में लिखती हैं कि थेरीडियन के मुख्य-लक्षणों में एक लक्षण पीठ के नीचे के स्थान (Lumbar region) में जलन का होना है। रोगी स्पर्श और शोर को सहन नहीं कर सकता। पिकरिक ऐसिड, जिंकम तथा फॉस में भी कभी-कभी कमर के नीचे जलन होती है।
(4) थेरीडियन तथा थाइरॉयडीन – होम्योपैथी में एक औषधि थाइरॉयडीन है। वह थाइरॉयड ग्लैंड से बनी है और एक नोसोड है। उसका प्रभाव गल-गंड (गॉयटर) में होता है। जिस औषधि का हम ज़िक्र कर रहे हैं वह थेरीडियन है। यह सन्तरे के पेड़ की एक मकड़ी का नाम है, उसके जीते-जी का टिंचर बनाया जाता है। इसकी ‘परीक्षा’ (Proving) डॉ. हेरिंग ने की थी जिन्होंने लैकेसिस आदि सर्प-विषों की भी अपने ऊपर परीक्षा की थी। थेरीडियन तथा थॉइरायडीन को एक ही नहीं समझ लेना चाहिये।
(5) शक्ति – Theridion 30, Theridion 200
घुमेरी या चक्कर के लिये मुख्य-मुख्य होम्योपैथिक औषधियां
थेरीडियन – आँख बन्द करने या अन्धेरे में चक्कर आना, शोर से चक्कर आना।
पल्स तथा साइलीशिया – ऊपर देखने से चक्कर आना।
फ़ॉस, सल्फ़, स्पाइजेलिया – नीचे देखने से चक्कर आना।
कोनायम – सिर को एक तरफ घुमाने से चक्कर आना, लेटते हुए चक्कर आना।
ब्रायोनिया – सिर किसी प्रकार भी हिलाने से चक्कर आना।
कौक्युलस तथा नक्स वोमिका – गाड़ी में चढ़ने या नींद कम आने से चक्कर आना-जैसे पहरेदार को चक्कर आना।
लैकेसिस – सोने के बाद चक्कर आ जाना।
पल्स, साइक्लेमन – माहवारी बन्द होने से चक्कर आना।
जेल्स, साइलीशिया, पेट्रोलियम – सिर के पीछे से चक्कर आना।
ब्रायोनिया, कौक्युलस, फॉस, पल्स – अगर चक्कर के समय लेटने से लाभ हो।
बोरेक्स – नीचे उतरते हुए चक्कर आना।
कैलकेरिया कार्ब – ऊंचाई पर चढ़ते हुए चक्कर आना।