तुलसी के रस से मलेरिया, कृमि, उल्टी, हिचकी, भूख अच्छी लगना, गुर्दे की कार्यशक्ति बढ़ाना, ब्लड कोलेस्ट्रॉल कम करना, अम्लपित्त, पेचिश, कोलाइटिस, स्नायविक दर्द, जुकाम, सिरदर्द, मेद वृद्धि, बच्चों के रोग, हृदय रोग आदि सभी में लाभ होता है। आधा चम्मच रस या दस पत्ते तुलसी के नित्य लें।
खाँसी – तुलसी के 25 पत्ते, 10 कालीमिर्च कुटी हुई 200 ग्राम पानी में डालकर इतना उबालें कि 150 ग्राम पानी रह जाये। इसे ठण्डा कर छानक्रर एक बोतल में भर लें। इसकी तीन-तीन चम्मच नित्य तीन बार पियें। खाँसी ठीक हो जायेगी। पुरानी खाँसी जो किसी भी तरह ठीक नहीं होती, वह भी ठीक हो जायेगी।
जुकाम-खाँसी – अदरक का रस आधा चम्मच, तुलसी का रस आधा चम्मच, शहद एक चम्मच मिलाकर नित्य तीन बार चाट लें। ऊपर से गुनगुना पानी पियें। जुकाम, खाँसी ठीक हो जायेगी।
कफ – तुलसी-रस से कफ निकल जाता है तथा श्वास-नलिका साफ हो जाती है।
शक्तिवर्धक – खाली पेट हर सुबह तुलसी का रस आधा चम्मच चार चम्मच पानी में मिलाकर लिया जाए तो तेज, शक्ति और स्मरण-शक्ति बढ़ती है। तुलसी की पत्तियों के एक चम्मच रस में एक चम्मच नीबू का रस मिलायें और कोढ़, एग्जीमा तथा खाज-खुजली के स्थान पर लगायें। इन रोगों में इससे लाभ पहुँचता है।
स्वास्थ्यवर्धक – केन्द्रीय सुगंध पौध अनुसंधान संस्थान (सीमैन) लखनऊ में विशेषज्ञों ने तुलसी की एक विशेष प्रजाति ओसिमम सेंकट्म से चाय तैयार की है। इस चाय में एन्टी ऑक्सीडेंट तत्व प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं जो शरीर के लिए लाभकारी माने जाते हैं। खासकर शरीर में रक्त को शुद्ध करने में इनका विशेष योगदान होता है।
सीमैन के वैज्ञानिकों ने चाय के क्लिनिकल ट्रायल भी किये हैं और दावा किया है कि यह स्वास्थ्यवर्धक चाय साबित होगी जिससे ताजगी, स्फूर्ति और ऊर्जा प्राप्त होगी और यह किसी भी दुष्प्रभाव से रहित होगी।
चाय – तुलसी की 10 हरी पत्तियाँ एक कप पानी में डाल कर उबालकर छानकर पियें। चाहें तो स्वाद के लिए चीनी डाल सकते हैं। तुलसी की हरी पत्तियों को सुखाकर पीसकर पाउडर बना कर भी रखा जा सकता है। इसे चाय के रूप में पिया जा सकता है।
सर्वगुणसम्पन्न – 30 तुलसी की साफ पत्तियाँ पीसकर 20 ग्राम दही जो खट्टा न हो या एक-दो चम्मच शहद के साथ सेवन करें। इसके पश्चात् दो घंटे तक आगे-पीछे कुछ न खायें-पियें।
इसके तीन माह के प्रयोग से खाँसी, सर्दी, नया और पुराना जुकाम, जुकाम की प्रवृत्ति, जन्मजात जुकाम, श्वास-रोग, स्मरणशक्ति की कमी, सिर या नेत्रों की पीड़ा, उच्च या निम्न रक्तचाप, हृदय रोग, मोटापा, अम्लता, पेचिश, मंदाग्नि, कब्ज, गैस, गुर्दै की कमजोरी, पथरी या गुर्दे की अन्य बीमारियाँ, गठिया, विटामिन ‘ए’ और सी की कमी से होने वाले रोग, सफेद दाग, कुष्ठ, चर्म रोग, शरीर में झुर्रियाँ पड़ना, पुरानी बिवाइयाँ, बुखार, खसरा (चेचक) और महिलाओं को बहुत-सी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं।
खाँसी, जुकाम व ज्वर –10 पत्ते तुलसी के तथा 4 लौंग लेकर एक गिलास पानी में उबालें। तुलसी पत्ते व लौंग के टुकड़े कर लें। पानी में उबाल कर जब आधा शेष बचे, तब थोड़ा-सा सेंधा नमक डालकर गर्म पी जायें। यह काढ़ा पीकर कुछ समय के लिए वस्त्र ओढ़कर पसीना लें। इस काढ़े को दिन में दो बार तीन दिन तक पियें।