Valeriana Benefits In Hindi
(1) हिस्टीरियाग्रस्त बच्चों तथा स्त्रियों के लक्षणों पर – बच्चों तथा स्त्रियों में हिस्टीरिया के लक्षणों में यह उपयोगी है। स्नायु-मंडल की तीव्र-उत्तेजना, कांपना, अंगों का फुदकना, दिल का धड़कना, अंगों में ऐंठन, पेट में गोले का उठना, पेट से गर्म भाप का-सा कुछ उठना आदि हिस्टीरिया के लक्षण इस में पाये जाते हैं। रोगी का सारा स्नायु-संस्थान उत्तेजित तथा चिन्ताग्रस्त होता है। रोगी को स्नायविक-बैचेनी (Nervous restlessness) घेर लेती है। स्नायु-मंडल की इसी बेचैनी के कारण उसे सिर-दर्द या शरीर के अन्य भागों में दर्द होता है।
valeriana स्नायु-संस्थान को शान्त कर देती है, रक्त संचार की उत्तेजना को कम कर देती है, उन्निद्रता को हटा देती है, नींद लाती है और शान्ति तथा आराम की भावना को जन्म देती है।
(2) धीमी हरकत से स्नायविक-उत्तेजना कम होती तथा विश्राम और तेज हरकत से स्नायविक-लक्षण बढ़ जाते हैं – स्नायु-संबंधी सब लक्षण आराम की हालत में बढ़ जाते हैं, हल्की, धीमी हरकत से घट जाते हैं, परन्तु तेज हरकत या कड़े परिश्रम से भी बढ़ जाते हैं। आराम की हालत में सारे शरीर में बेधने का-सा दर्द होता है। आराम में लक्षणों का बढ़ना हल्की हरकत से घटना और तेज परिश्रम से भी लक्षणों का बढ़ना इस औषधि का लक्षण है।
(3) बेचैनी इसका प्रधान लक्षण है – ‘बेचैनी’ (Restlessness) इस औषधि का प्रधान-लक्षण है। रोगिणी देर तक निश्चल नहीं रह सकती। स्नायु-संबंधी उत्तेजना इतनी प्रबल होती है कि वह जगह-से-जगह चलती-फिरती, जगह बदलती रहती है। बातचीत में भी एक विषय पर नहीं टिकती, एक विषय से दूसरे विषय पर मानो छलांगे भरती है। एक विषय छेड़ती है, उसे छोड़ दूसरे पर चल देती है।
(4) मेरू-दंड की उत्तेजना (Spinal irritation) – स्नायु-मंडल की उत्तेजना के संबंध में जो रोग प्रकट होते हैं, उनमें अगर आराम से लक्षण बढ़े, हल्की हरकत से घटे, और तेज हरकत या कठोर परिश्रम से भी बढ़े, तो इस औषधि से मेरू-दंड की उत्तेजना के लक्षण शान्त हो जाते हैं।
(5) शियाटिका का दर्द – शियाटिका के दर्द के संबंध में इसका विचित्र-लक्षण यह है कि लेटने पर दर्द नहीं होता, बैठते हुये अगर सामने कुर्सी या स्टूल पर पांव रख कर बैठा जाय, तब भी दर्द नहीं होता, परन्तु खड़े होने पर या पांव को जमीन पर रखने से शियाटिका का दर्द होने लगता है। डॉ. नैश ने एक गर्भवती स्त्री का शियाटिका का दर्द इसी लक्षण के आधार पर इस औषधि से ठीक कर दिया था।
(6) दिमाग तेज होता है, विचारों से भरा रहता है, परन्तु मन में कल्पित विचार आते रहते हैं – इस औषधि की रोगिणी का दिमाग तेज होता है, वह बुद्धिमती होती है, दिमाग हर बात में चलता है। दिमाग विचारों से इस कदर भरा रहता है कि रोगिणी बड़ी आसानी से एक विचार पर बात करती-करती दूसरे विचार पर जा पहुंचती है, परन्तु इस उत्तेजना का परिणाम हिस्टीरिया के लक्षण प्रकट हो जाना भी है। उसके मन में काल्पनिक, निराधार विचार आया करते हैं। रोगिणी को मनुष्यों, पशुओं की काल्पनिक सूरतें दिखलाई देने लगती हैं। ये शक्लें निराधार होती हैं। वह सोचती है कि वह स्वयं कोई और ही है, और इसीलिये बिस्तर पर एक किनारे पर होकर अपने लेटने के लिये जगह बनाया करती है। उसे कल्पना में ऐसा लगता है कि उसके बिस्तर पर कोई जानवर लेटा है जिस से उसे ड़र लगता है। इस सब में विलक्षण-लक्षण यह है कि जबतक वह बैठी या लेटी रहती है तबतक उसे ऐसे विचार आया करते हैं, ज्योंही उठकर वह चलने-फिरने लगती है, ये विचार गायब हो जाते हैं। हम अभी ऊपर लिख आये हैं कि इस औषधि के लक्षण विश्राम की हालत में बढ़ जाते हैं – यह लक्षण उसी का उदाहरण है।
valeriana औषधि के हिस्टीरिया के-से अन्य लक्षण
(i) रोगिणी अपने को इतना हल्का अनुभव करती है मानो हवा में तैर रही हो।
(ii) रोगिणी को सिर पर बर्फ़ के समान ठंडक अनुभव होती है।
(iii) रोगिणी ऐसा अनुभव करती है मानो गले के भीतर तागा लटक रहा हो।
(iv) अगर माता ने क्रोध किया है, तो बच्चा दूध पीने के बाद उल्टी कर देता है। इस लक्षण पर इस से लाभ होता है।
(v) स्नायु के अनेक प्रकार के रोगों में जब ठीक चुनी हुई औषधि से लाभ न हो, तब इसके प्रयोग से अनेक बार लाभ दिखलाई देता है।
(7) शक्ति – मूल-अर्क, valeriana 6 , valeriana 30, valeriana 200