इन्फ्लुएंजा वायरस के संक्रमण से वायरल फीवर होता है। वायरल फीवर जून-जुलाई के महीने में अधिक होता है। इसमें सबसे पहले गले में दर्द के साथ हल्की सर्दी होती है, उसके तुरंत बाद गले में खराश फिर गले में कफ बन जाता है और अंत में बुखार अपने चरम पर पहुंच जाता है। बुखार के साथ सिर-दर्द आम समस्या है। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बहुत आसानी और बड़ी तेजी से फैलती है। इसके विषाणु साँस द्वारा एक से दूसरे में पहुँचते हैं। बोलते समय मुंह से कुछ सलाइवा की बुँदे भी निलती हैं तो जिस व्यक्ति को वायरल बुखार है, उसके संपर्क में आने वाले लोगो को ये बुखार का संक्रमण आसानी से पहुंच सकता है, फिर एक से दो दिन में उस सम्पर्क में आये व्यक्ति को भी यह वायरल फीवर हो जाता है। यह वायरल फीवर बच्चों में सबसे अधिक होता है। बरसात के मौसम से धूप न निकलने के कारण वातावरण चिपचिपा और गीला रहने के कारण यह वायरस बहुत सक्रीय रहते हैं।
वायरल बुखार के लक्षण
- आँखें लाल होना
- शरीर का तापमान 101 से 103 डिग्री या और ज्यादा हो जाना
- खांसी और जुकाम होना
- जोड़ों में दर्द और सूजन होना
- थकान और गले में दर्द होना
- नाक बहना
- बदन दर्द होना
- भूख न लगना
- लेटने के बाद उठने में कमजोरी महसूस करना
- सिरदर्द होना
वायरल फीवर से बचाव के कुछ आसान उपाय
1) खासते वक्त मुँह पर रुमाल या कोई कपडा रख कर खाँसें, ताकि इन्फ्लुएंजा वायरस वातावरण में न फैले।
2) खाँसने के बाद हाथ व मुँह धो लेना चाहिए।
3) जब आपके शहर में वायरल फीवर बहुत फैल रहा है तो कम से कम लोगों के संपर्क में आना चाहिए और संभव हो तो अधिक नज़दीक बैठकर बात नहीं करना चाहिए ।
4) अगर आपको वायरल इन्फेक्शन हो गया है तो डॉक्टर को जितना जल्दी हो सके दिखा ले, और जहाँ तक संभव हो घर पर ही रहे ताकि बाकि लोग जो आपके संपर्क में आते है उन्हें यह बुखार न हो जाये।
5) अगर घर में कोई इस बीमारी से पीड़ित हो तो mask का प्रयोग करे ताकि आपको वायरल इन्फेक्शन प्रभावित न करे।
6) इस मौसम में जितना हो सके बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए। फलों व सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
7) साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। खाने से पहले हाथ धोना बहुत जरुरी है।
वायरल फीवर के लिए होम्योपैथी में कुछ दवाइयां है जो इसके उपचार में सहायक है:-
Influenzinum 200 :- यह वायरल इन्फेक्शन से बचने के लिए बहुत ही कारगर दवाई है। यह दवाई उसी इन्फ्लुएजा वायरस की मदद से बनाई जाती है। इस दवाई का सेवन करने पर शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है जो की इस वायरस से लड़ती है और हमे वायरल इन्फेक्शन नहीं होने देती।
दवा लेने विधि :- इस दवाई का सेवन रोज सुबह करना है। बच्चो को इसकी एक बून्द व बड़ों को दो बून्द लेना है। इसका सेवन शुरू में लगातार तीन दिन तक करना है और फिर सप्ताह में एक दिन इसका सेवन करना है।
इस दवाई के results बहुत अच्छे देखे गए हैं, इसका सेवन बारिश के मौसम में किया जाता है जब वायरल इन्फेक्शन का खतरा बहुत ज्यादा होता है।
Aconite 30 + Bryonia 30 + Gelsemium 30 + Eupatorium perfoliatum 30 :- ऊपर बताई गई दवा वायरल बुखार से बचने के लिए है, परन्तु अगर आपको ऐसा महसूस हो कि बुखार लगने वाला है या बुखार लग गया है तो इन चार दवाओं की 2 बून्द हर दो-दो घंटे अंतर से खाने से उसी दिन आप ठीक हो जायेंगे।
दवा लेने की विधि :- इन चारों दवाओं की 2 बून्द, हर दवा के बीच 10 मिनट के अंतराल दे कर लें।