उल्टियाँ या वमन बड़ा कष्टदायक रोग है । उलटी होने पर खाया पिया सब निकल जाता है । साथ में शरीर का पानी भी निकल जाता है जो शरीर और आँतों की खुश्की बढ़ा देता है । जब आँतों में दाह उठती है तो डकार दुर्गन्धयुक्त निकलती है । बार-बार जी मचलाता है । सिर में असहनीय पीड़ा होने लगती है ।
मल मूत्र भी कठनाई से आता है क्योंकि पानी कच्चे रस के रूप में निकल जाता है । उल्टियों के बीच या कुछ ही देर बाद आँख, नाक तथा शरीर के अन्य अवयवों में दर्द होने लगता है । घबराहट के कारण शरीर पसीना पसीना हो जाता है । ऊपर से तीमारदारी करने वाला भी घबड़ा जाता है । उस समय तलवों में घी मलने से भी मरीज़ की घबराहट दूर होती है ।
जब मरीज़ को कुछ चैन आ जाये तो उसे 5 ग्राम धनिया, 10 ग्राम अजवायन, एक बूँद पिपरमेंट का सत् सबको मिलाकर देना चाहिए । धनिया और अजवायन को पहले पीसकर चूर्ण बन लेना चाहिए । रोगी की पीठ या छाती पर गुनगुना करके तेल मलने से भी काफी लाभ होता है । यदि रोगी को मल के त्याग की इच्छा हो तो उसे तुरंत अवसर देना चाहिए ।