नमी वाले स्थानों, पानी के जहाजों, नावों आदि में एक विशेष प्रकार का मच्छर पाया जाता है जिसके काटने से ज्वर आ जाता है, इसे ही पीला ज्वर कहते हैं । यही कारण है कि यह ज्वर नाविकों को ही बहुतायत से होता है । इस ज्वर में- कॅपकॅपी आना, नाड़ी तेज चलना, ठण्ड लगना, घबराहट होना, भूख न लगना इत्यादि लक्षण प्रकट होते हैं ।
कैम्फर 30– कॅपकॅपी के साथ बुखार आना, नाड़ी तेज चलना, ठण्ड लगना, बेचैनी, पूरे शरीर में दर्द होना, शरीर से दुर्गन्ध आना, मूत्र कम हो जाना- इन लक्षणों में प्रयोग करनी चाहिये ।
एकोनाइट 30– ज्वर का आक्रमण एकदम तीव्र हो, नाड़ी और श्वास की गति तेज हो, घबराहट हो तो इस दवा का प्रयोग करें ।
जेल्सीमियम 30- एकोनाइट से लाभ न होने पर प्रयोग करें |
आर्सेनिक एल्ब 30– अन्य लक्षणों के साथ सुस्ती भी हो तो इसका प्रयोग करना चाहिये |
समयानुसार ज्वर आने पर दी जाने वाली औषधियाँ
- प्रातः 7 बजे से आने वाला बुखार — यूपेटोरियम पर्फ, नक्सवोमिका पोडोफाइमल
- प्रातः 7 बजे से 9 बजे तक या 9 बजे से 11 बजे तक आने वाला बुखार जो ठण्ड लगकर आये — नैट्रम मयूर
- प्रातः 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक आने वाला बुखार जो ठण्ड लगकर आये — चिनिनम सल्फ
- दोपहर 1 बजे या दोपहर 2 बजे तक आने वाला बुखार या रात 12 बजे बुखार जिसमें अत्यन्त प्यास — आर्सेनिक एल्ब
- दोपहर 1 बजे के बाद आने वाला बुखार — पल्सेटिला
- दोपहर बाद 3 बजे आने वाला बुखार — एन्टिम टार्ट, एपिस मेल, लाइकोपोडियम, पल्सेटिला
- शाम 4 बजे या 5 बजे आने वाला बुखार — लाइकोपोडियम, पल्सेटिला
- शाम 5 बजे आने वाला बुखार — काली कार्ब, थूजा
- शाम 6 बजे आने वाला बुखार — हिपर सल्फर, काली कार्ब
- शाम 7 बजे आने वाला बुखार — हिपर सल्फर, लाइकोपोडियम, रस्टक्स
- रात 12 बजे आने वाला बुखार — आर्सेनिक सल्फ
- रात 3 बजे आने वाला बुखार — थूजा
- प्रातः 11 बजे से रात्रि 11 बजे तक आने वाला बुखार जिसमें छाती पर बोझ लगता हो — कैक्टस ग्रांडीफोलोरा
- दोपहर बाद 3 बजे से रात्रि 3 बजे तक रहने वाला बुखार जो मध्य रात्रि में अधिक बढ़े — बेलाडोना
- शाम 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक रहने वाला बुखार — लाइकोपोडियम
- रात्रि को बुखार बढ़ने पर — कैम्फर
- निश्चित समय पर ही बुखार आना — सैबाडिला, सिड्रॉन