लिवर की औषधि – डॉ० कैन्ट लिखते हैं कि अगर होम्योपैथ किसी औषधि के विषय में कह सके कि यह औषधि अमुक रोग की दवा है, तो वे कार्डुअस मेरिऐनस औषधि के विषय में कहने की तैयार हैं कि यह लिवर के रोगों की दवा है। इस औषधि का केन्द्र-बिन्दु जिगर है। रोगी को नियमित या अनियमित समय पर पित्त की उल्टियां होती है। डॉ० कैन्ट का कथन है कि उन्होंने अनेक ऐसे रोगियों को इस दवा से ठीक किया है जिनको ऐसा सिर-दर्द होता था जिसका अन्त पित्त की उल्टी में होता था, जो कैलोमेल लेने के आदी थे, जिनके अंगों में जिगर की खराबी से पानी पड़ गया था।
पीलिया में भी इस औषधि से लाभ होता है। इसका सबसे मुख्य लक्षण यह है कि जब रोगी बायीं करवट लेटता है तब पेट की दायीं तरफ दर्द होता है। इस औषधि से पित्त का स्वस्थ निर्माण होता है और पित्त की पथरी (Gall-stones) बनना बन्द हो जाता है। पथरी के बार-बार दर्द के दौर को भी रोक देता है। इसका एक लक्षण यह भी है कि पीठ में दायें अस्थि-फलक के नीचे के दर्द का लक्षण चेलीडोनियम तथा एस्कुलस में भी है। इस दर्द का कारण भी यकृत (जिगर) का दोष होता है। डॉ० नैश लिखते हैं कि बायें अस्थिफलक के नीचे का दर्द चैनोपोडियम ग्लाउसाई या सैंग्विनेरिया से दूर हो जाता है।