ऋतु-परिवर्तन, सर्दी लगना, अजीर्ण, गर्भावस्था, वात का दर्द तथा स्वास्थ्य खराब होना आदि कारणों से दांतों में दर्द होने लगता है । दांत के दर्द में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग करना चाहिए :-
प्लैण्टेगो Q, 3 – हर प्रकार के दन्त-शूल में यह औषध लाभकारी है। खाने के लिए इसे 3 शक्ति में हर 10 मिनट के अन्तर से तब तक देना चाहिए, जब तक कि दांत का दर्द बन्द न हो जाय । साथ ही, इस औषध के ‘मूल-अर्क’ को दर्द वाले दांत पर लगाना तथा मसूढ़ों पर मलना चाहिए। जिस ओर दर्द हो रहा हो, उसी ओर के गाल पर मूल-अर्क को मलना चाहिए तथा उसी ओर के कान में इस अर्क में एक फुरैरी भिंगोकर डाल देनी चाहिए। इस उपचार से तुरन्त लाभ होगा तथा दांत का दर्द बन्द हो जायेगा ।
मर्क-सोल 30 – यदि पूर्वोक्त चिकित्सा के कुछ ही घण्टों में कोई लाभ न हो तथा सड़े हुए दांत की जड़ में सूजन दिखायी दे तो इस औषध का प्रयोग करना चाहिए। दांत के ऊपरी सिरे के सड़ जाने तथा जड़ के ठीक रहने एवं मुँह लार से तर रहने के लक्षणों में यह औषध बहुत लाभ करती है। इस औषध के रोगी के मुँह में लार के साथ ही प्यास लगती है, दांत लम्बे प्रतीत होते हैं तथा रात्रि के समय दांत के दर्द में वृद्धि भी हो जाती है।
काफिया 200 – जब तक मुंह में ठण्डा पानी रहे, तब तक दांत में दर्द न होना तथा मुँह का ठण्डा पानी गर्म हो जाने पर दर्द आरम्भ हो जाना-इन लक्षणों में यह औषध लाभ करती है । यदि ठण्डे पानी से दांत का दर्द हट जाता हो तो इस औषध के प्रयोग से वह पूरी तरह शान्त हो जाता है।
क्रियोजोत 3, 30, 200 – दांतों का तेजी से सड़ना, उनका काला तथा खुरदरा हो जाना, सड़ने के कारण दांत में दर्द होना, परन्तु मसूढ़ों में कोई ऐसा फोड़ा हो, जिसमें अत्यधिक लार बहने के भाथ ही मसूढ़ों से खून भी बहता हो – इस औषध का प्रयोग लाभकर हैं ।
कैल्केरिया-कार्ब 12x वि० – दांत-आवरण (एनामिल) के मैल से भरे दाने के कारण होने वाले दन्त-शूल में हितकर है।
रस-टाक्स 3 – दांतों में जख्म तथा दांत बढ़े हुए प्रतीत होने के लक्षणों में इसे देना चाहिए ।
नक्स-वोमिका 3x – कॉफी तथा शराब पीने के कारण उत्पन्न हुए दन्त-शूल में लाभकर है ।
चायना 30 – स्वास्थ्य-नाश अथवा अन्य कारणों द्वारा बहुत जोर से होने वाले दन्त-शूल में लाभकर है।
ब्रायोनिया 3 – धूम्रपान के बाद दर्द होना तथा दांतों का लम्बे और ऊपर उठे हुए अनुभव होना – इन लक्षणों में प्रयोग करें ।
मैग्नेशिया-कार्ब 6 – चुप बैठने पर बढ़ने वाले दन्तशूल में हितकर है।
विशेष – उत्त औषधियों के अतिरिक्त लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों के प्रयोग की भी बीच-बीच में आवश्यकता पड़ सकती है :-
सिलिका 30, मैग्नेशिया फॉस 3x, नक्स मस्केटा 1x, हायोसायमस 6, इग्नेशिया 6, हिपर-सल्फर 3, फास्फोरस 6, लैकेसिस 6, डल्कामारा 3 तथा मैग्नेशिया फॉस 3x वि०, (गरम पानी के साथ) आदि ।
विभिन्न कारणों से होने वाले दांत के दर्द में लाभदायक औषधियों का संक्षित विवरण निम्नानुसार समझ लेना चाहिए :-
(1) अजीर्ण-दोष से उत्पन्न दर्द में – पल्सेटिला 6, आर्सेनिक 6 , नक्स-वोमिका 6, मर्क्यूरियस 3 तथा ब्रायोनिया 3 ।
(2) शीत-ऋतु में ठण्डी हवा लगने के कारण उत्पन्न दन्त-शूल में – कैमोमिला 6. ऐकोनाइट 3 तथा बेलाडोना 3 ।
(3) बरसाती तर हवा लगने के कारण उत्पन्न हुए दन्त-शूल में – नेट्रम-सल्फ 3x, 6x, नक्स मस 3x, मर्क 3x तथा डल्कामारा 6 ।