कारण – हृदय एक निश्चित लय में धड़कता हैं। यदि यह धड़कन किसी वजह से बढ़ जाती है, तो इसे ही हृदय का धड़कना कहते हैं। यह अधिक मानसिक उत्तेजना अथवा अवसन्नता, स्नायु-मण्डल के रोग, उत्तेजन पदार्थों के सेवन, भय, परिश्रम, शोक, दौड़, हस्तमैथुन आदि कारणों से यह रोग होता है।
दिल की धड़कन का इलाज घरेलू आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों द्वारा
– पिस्ता हदय की धड़कन कम करता है।
– जिनके हृदय की धड़कन बढ़ गई हो, हृदय रोग से बचना चाहते हों वे एक प्याज नित्य खाना खाते समय खायें। इससे धड़कन सामान्य हो जायेगी। हृदय को शक्ति मिलेगी।
– अंगूर खाने से घबराहट दूर हो जाती है।
– यदि दिल बहुत धड़कता हो तो गुलाब के चूर्ण में बराबर मिश्री मिला लें। एक-एक चम्मच की मात्रा में इस चूर्ण का गाय के दूध से सेवन करें या गुलाब के चूर्ण व धनिया के चूर्ण में बराबर मिश्री मिलाकर 2-2 चम्मच गाय के दूध से दिन में दो बार दें।
– अनार के कोमल पत्तों को पीसकर प्रात:सायं पीने से दिल की धड़कन कम होती है।
– गर्मी के दिनों में कुछ लोगों को घबराहट और बेचैनी महसूस होती है। उस दौरान दिल की धड़कन तेज हो जाती है। ऐसे में गुलाब के पुष्पों को प्रात:काल धोकर चबाकर खाने से आराम मिलता हैं।
– पके सुगंधित बेल का गूदा मलाई में मिलाकर रोज खाते रहिये। दिल को ताकत मिलेगी। बेलपत्र का दस ग्राम रस निकालकर गाय के घी में मिलाकर पी जाएँ। एक बार में पूरा आराम न आये तो दो घण्टे बाद एक और मात्रा ले लें।
– सेब का शर्बत भी दिल की घबराहट को दूर करता है। बीज निकालकर 100 ग्राम सेब के टुकड़े काट लें और दो सौ ग्राम रस पानी में उबालें। थोड़ी ही देर में सेब के टुकड़े गल जायेंगे। दो सौ ग्राम मिश्री की चाशनी बना लें और पच्चीस ग्राम नींबू निचोड़ दें। इस चाशनी में उबले हुए सेब पानी सहित डाल दें। शर्बत बनाकर पी लें और टुकड़े अलग से खा लें। दिल बैठता हुआ-सा लगे तो यह शर्बत पी लें।
– सूखे आँवले ( यदि ताजा हों तो उन्हें थोड़ा कूट लें, ताकि उनके टुकड़े से हो जायें और फिर छाया में सुखा लें ) का चूर्ण करके उसमें बराबर की मिश्री मिलाकर एक साफ सूखी चौड़े मुँह की बोतल में भरकर रख दें। नित्य इस चूर्ण की एक छोटी चम्मच भर मात्रा प्रात: निराहार मुँह तथा रात को सोने से पहले ताजा जल से लेते रहें। इस साधारण से प्रयोग से दिल की बढ़ी हुई धड़कनें सामान्य होती हैं, दिल को शक्ति मिलती है तथा रक्तचाप में भी काफी फायदा पहुँचता है।
– पपीता भारी प्रोटीनों को शीघ्र पचाने की क्षमता रखता हैं। दिल के मरीजों के लिये लाभप्रद है।
– दिल की तेज धड़कन में लाभ के लिये अदरक को घी में तल कर खायें।
– ताजे आँवलों का रस दिन में तीन बार लेने या आँवला चूर्ण दूध के साथ सेवन करने से हृदय को बल मिलता है व हृदय रोग दूर होते हैं।
– ताजे आँवलों के छने हुए 2 तोला रस में समान भाग शहद मिलाकर प्रात: सायं पीने से हृदय की धड़कन में लाभ होता है।
– आँवलों का चूर्ण गाय के दूध के साथ सेवन करने से हृदय रोग मिटता हैं।
– ताजे आँवलों का रस दिन में तीन बार लेने से हृदय रोग दूर हो जाता है।
– आँवलों का मुरब्बा खाकर दूध पीने से हर प्रकार का हृदय रोग दूर हो जाता है।
– सुबह का खाना खाने के बाद एक अनार रोज खाने से हृदय रोग नहीं होता है।
दिल की धड़कन का बायोकेमिक/होमियोपैथिक इलाज
काली-म्यूर 3x – अपच तथा यकृत की गड़बड़ी के कारण रोग उत्पन्न होने की दशा में उपयोगी।
काली-फॉस 3x – हृदय की क्रिया दुर्बल व रुक-रुक कर होना, निद्रा का अभाव, समस्त शरीर में सुस्ती व स्वाभाविक कमजोरी के लक्षणों में इसका व्यवहार करना चाहिए।
नैट्रम-म्यूर 3x – रक्ताभाव के कारण रोग का आक्रमण होने पर।
एकोनाइट 3, 30 – हृदय की धड़कनें तो बढ़ जाती हैं किन्तु हृदय कमजोर महसूस नहीं होता।
नक्स वोमिका 30 – यदि कब्ज के कारण पेट में वायु भरी रहे और उसकी वजह से हृदय की धड़कनें बढ़ जायें तो यह औषधि उत्तम है।
पल्सेटिला 30 – अजीर्ण रोग के कारण स्पंदन बढ़ती है। पेट में वायु इधर-उधर घूमती है इसके कारण हृदय पर दबाव-सा महसूस होता है। रोगी को साँस लेने में परेशानी हो सकती है। रोगों को गर्मी सहन नहीं हो पाती।
कार्बोवेज 30 – रोगी को कब्ज की शिकायत रहती है। पेट में हवा भरी रहती है। रोगी के हृदय की धड़कनें बढ़ जाती हैं। डकारें आती हैं तो इस औषधि से राहत मिलती है।
मौस्कस 1, 3 – हृदय की धड़कनें इतनी बढ़ जाती हैं कि रोगी घबरा जाता है। बेहोश भी हो सकता है। ऐसे में रोगी को यह औषधि दें।
क्रेटेगस मूल अर्क – यदि धड़कनें इतनी बढ़ जायें कि रोगी को अपना हृदय बंद होता सा लगे, रोगी को मौत का भय सताने लगे। ऐसे में यह औषधि दिन में पाँच-पाँच बार देनी चाहिए।