फोलिक एसिड भी विटामिन बी काम्पलेक्स का सदस्य है । इसे फैक्टर ‘यू’ भी कहा जाता है। सन् 1935 में देखा गया कि कुछ बन्दरों को प्रोटीन, पॉलिशदार चावल, गेहूँ, खनिज पदार्थ, कॉडलीवर आयल और विटामिन ‘सी’ देने पर भी निम्नांकित लक्षण उत्पन्न हो गए –
रक्ताल्पता, श्वेत कोषों की न्यूनता, भार (वजन) में कमी, अतिसार और मसूढ़ों में घाव। राइबोफ्लेविन और विटामिन B1 तथा निकोटिनिक एसिड देने पर भी उपर्युक्त दशा में कोई लाभ न हुआ परन्तु जब इन बन्दरों को खमीर अथवा यकृत दिया गया तो तुरन्त लाभ हुआ । इससे यह स्पष्ट हुआ कि खमीर और यकृत में कोई और तन्त्र होता है और उसका नाम विटामिन ‘एम’ रखा गया, बाद में इसी क्रम में और अनुसन्धान हुए और फिर इसी को ‘फोलिक एसिड’ नाम दिया गया ।
यह तत्त्व यकृत, खमीर के अतिरिक्त हरी शाक-भाजियों (पालक के पत्तों आदि में) होता है। इनको अंग्रेजी में Foliage (फोलिएज) कहा जाता है । भोजन रखने और बनाने की सामान्य क्रियाओं में इस विटामिन का पर्याप्त अंश नष्ट हो जाता है। फोलिक एसिड हमारे भोजनों में प्रोटीनों के साथ संयुक्त रूप से रहता है । कोषों के निर्माण और विटामिन B12 के कार्यों का फोलिक एसिड के कार्यों के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। फोलिक एसिड का मुख्य (प्रधान) सम्बन्ध रक्त निर्माण से है । सभी प्रकार के रक्त कोषों के पूर्ण विकास और परिपक्वीकरण के लिए इसकी उपस्थिति आवश्यक है । इसकी अनुपस्थिति में रक्त कोषों के विकास में रुकावट पड़ती है । वृद्धि और प्रजनन के लिए फोलिक एसिड आवश्यक तत्त्व है। इसकी दीर्घकालिक हीनता का प्रभाव स्त्री के प्रजनन अंगों पर अधिक प्रकट होता है। पुरुषों में फोलिक एसिड सहायक सेक्स अंगों के विकास के प्रति टेस्टोस्टेरोन (हारमोन) के प्रभाव को बढ़ाता है। मनुष्य में इसके प्रयोग से भूख में वृद्धि होती है और सामान्य दशा में चैतन्यता की अनुभूति होती हैं। परनिशस एनीमिया, सिरोसिस लीवर तथा जीर्ण वसातिसार की दशाओं में इसके प्रयोग से आँतों से नाइट्रोजन के आत्मीकरण की मात्रा बढ़ जाती है ।
कुपोषणजनित रक्ताल्पता, गर्भावस्था की रक्ताल्पता तथा जीर्ण अतिसार, संग्रहणी और वसातिसार-जनित रक्ताल्पता में इसके प्रयोग से लाभ होता है। इस दवाओं में आमतौर पर 10 से 20 मिलीग्राम फोलिक एसिड प्रतिदिन दिया जाता है ।
प्रारंभ में फोलिक एसिड पालक के पत्तों से बनाया गया था और अब वर्तमान समय में कत्रिम विधियों से बनाया जा रहा है। यह नारंगी रंग का फीका दानेदार पाउडर है । मात्रा 5 से 20 मि.ग्रा. तक तथा तीव्र दशा में 100 से 150 मिलीग्राम तक दे सकते हैं। बाजार में 5 मिलीग्राम की टिकिया बिकती है। रोगी को 1 से 2 टिकिया प्रात: सायं खिलाएं। फोलिक एसिड विद लिवर एक्सट्रेक्ट का एक मिलीलीटर का सप्ताह में 1 या 2 बार इन्जेक्शन लगवायें । फोलिक एसिड एण्ड आयरन टेबलेट (1-2 टिकिया) भोजनोपरान्त दिन में दो बार दें ।
नोट – फोलिक एसिड मेक्रोसाइटिस एनीमिया की अत्यंत ही सफल औषधि है, इस प्रकार की रक्ताल्पता से संग्रहणी, पुराने दस्तों के बाद और गर्भवती स्त्री को दी जाती है।
शरीर में रक्त की कमी को दूर करने के लिए इसको (फोलिक एसिड को) अथवा लोहे (आयरन टेबलेट) के साथ (मिलाकर) खिलाते हैं अथवा लिवर एक्सट्रेक्ट के साथ मिलाकर इन्जेक्शन लगाते हैं। दुष्ट या प्रणाशी अरक्तता (Pernicious Anaemia) में फोलिक एसिड को विटामिन बी कम्पलेक्स के साथ मिलाकर प्रयोग करने से अति लाभ प्राप्त होता है । फोलिक एसिड पशुओं के यकृत, सोयाबीन, सूखी मटर, दालों, पालक, हरी चौलाई और दूसरी हरी सब्जियों में पाया जाता है ।