बार-बार पेशाब आने का होम्योपैथिक इलाज
इस पोस्ट में बार बार पेशाब आना, रात में पेशाब करने के लिए बार-बार उठना, पेशाब का देर से निकलना और जलन का होम्योपैथिक दवा बताया गया है।
बार-बार पेशाब जाने के लक्षणों में निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग करना चाहिए :-
पल्सेटिला 30 – बार-बार पेशाब जाना, लेटने पर पेशाब जाने की इच्छा में वृद्धि, मूत्र-त्याग के समय तथा बाद में मूत्र-मार्ग के मुख में जलन, मूत्र-त्याग के पश्चात् मूत्राशय में ऐंठन के साथ दर्द, रोगी द्वारा मूत्राशय पर ही ध्यान केन्द्रित रखना, अन्यथा पेशाब का अपने-आप निकल जाना-इन सब लक्षणों में हितकर है ।
बेसिकेरिया Q – मूत्राशय तथा मूत्र-मार्ग में जलन, बार-बार पेशाब जाने की इच्छा तथा पेशाब करते समय प्राय: कष्ट होना-इन लक्षणों में हितकर है ।
सेबाल सेरूलाटा Q, 3 – रात के समय पेशाब करने के लिए बार-बार उठने की शिकायत में हितकर है। प्रोस्टेट-ग्रन्थि के बढ़ जाने के कारण पेशाब के बार-बार तथा रुक-रुक कर आने के लक्षणों में इस औषध का ताजा मूल-अर्क विशेष लाभ करता हैं ।
नक्स-वोमिका 30, 200 – अपच के कारण बार-बार पेशाब में हितकर है।
आर्जेण्टम-नाइट्रिकम 3, 30 – बार-बार बहुत-सा पेशाब आने में लाभकारी।
कालि-कार्ब 30, 200 – रात में पेशाब करने के लिए बार-बार उठना, परन्तु पेशाब होने के लिए काफी देर तक प्रतीक्षा करना-इन लक्षणों में हितकर है।
कास्टिकम 30 – वृद्ध व्यक्तियों में रात में बार-बार पेशाब जाने के लिए उठना-इन लक्षणों में लाभकर है।
इग्नेशिया 200 – हिस्टीरिया ग्रस्त रोगी के बार-बार पेशाब जाने की इच्छा में श्रेष्ठ लाभ करती है ।
इक्विसेटम Q, 6 – पेशाब जाने की तीव्र इच्छा का लगातार बने रहना, पेशाब कर चुकने पर भी ऐसा लगना कि मूत्राशय मूत्र से भरा हुआ है। पेशाब करने के बाद भी राहत न मिलना, मूत्राशय में दर्द होना, मूत्र-त्याग की उत्कट इच्छा होते हुए मूत्र का कम परिमाण में निकलना, मूत्र-त्याग के पश्चात् दर्द का अनुभव, मूत्राशय में दर्द तथा वृद्ध लोगों में पेशाब जाने की इच्छा का हर समय बने रहना – इन सब लक्षणों में लाभ करती है ।
लिलियम टिग्रिनम 30 – पेशाब जाने की तीव्र इच्छा तथा जननांग पर भार की अनुभूति-इन लक्षणों में लाभकारी है। स्त्रियों के लिए यह विशेष हितकर है।
हाइड्रोफोबिनम (लाइसीन) 200 – बहते हुए पानी को देखकर पेशाब करने की इच्छा-इन लक्षणों में प्रयोग करें ।
सल्फर 1M, कैन्थरिस – यदि हाइड्रोफोबीनम से लाभ न हो तो इन दोनों औषधियों में से किसी एक का प्रयोग करना चाहिए ।
थूजा 30 – पेशाब जाने की तीव्र इच्छा का बार-बार होना, पेशाब किये बिना रुक न पाना, परन्तु पेशाब की धार कमजोर होना, पेशाब कर चुकने के बाद ऐसा अनुभव होना कि मूत्र-मार्ग में अभी एक बूंद और शेष रह गई है । इन लक्षणों के साथ ही रोगी को चक्कर आना, ऐसी अवस्था में यह औषध विशेष लाभ करती है ।
पेट्रोसेलीनम 3 – पेशाब जाने की एकदम तीव्र इक्छा होना, यदि तुरंत ही पेशाब करने के लिए न बैठा जाय तो पेशाब का अपने आप निकल जाना तथा मूत्रमार्ग में काटने जैसा दर्द होना – इन लक्षणों में लाभदायक हैं ।
नेट्रम-म्यूर 30 – पेशाब करने की तीव्र इच्छा होने पर भी पेशाब का अल्प परिमाण में आना-इन लक्षण में प्रयोग करें ।
कोनियम 30, 200 – जरायु के स्नायु-शूल में पेशाब करने की तीव्र इच्छा का निरन्तर बना रहना – इन लक्षणों में प्रयोग करें । यह औषध स्त्रियों के लिए विशेष हितकर हैं ।
अर्जेण्टम मेट 6x, 30 – मल तथा मूत्र दोनों की तीव्र इच्छा होने पर इस औषध के सेवन से लाभ होता है ।
यदि आपको बार-बार पेशाब आने की समस्या है तो यह महत्वपूर्ण है कि आप किसी चिकित्सक से सलाह लें ताकि सही निदान और उपचार हो सकें। हम यहां कुछ सामान्य सुझाव प्रदान कर रहे हैं जो इस समस्या को सामान्य रूप से दूर करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन इन्हें अपने चिकित्सक से मिली सलाह के साथ ही अपनाएं:
पीने की अधिकता: अधिकतम पानी पीना शरीर की सामान्य क्रियाओं को बनाए रखने में मदद कर सकता है और पेशाब की सामान्य संख्या को बढ़ा सकता है।
नियमित पेशाब: नियमित अंतराल पर पेशाब करना शरीर की पेशाब सामग्री को स्वच्छ करने में मदद कर सकता है और संक्रमण के खतरे को कम कर सकता है।
सही भोजन: अपने आहार में सही पौष्टिक तत्वों को शामिल करें और तेज खाद्य पदार्थों से बचें।
तंतु शक्ति वर्धन: केगल एक्सरसाइज़ और पेल्विक फ्लोर मस्ल की कसरतें करने से तंतु शक्ति में सुधार हो सकता है और पेशाब नियंत्रण में मदद कर सकता है।
नियमित व्यायाम: स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें, जो पेशाब सिस्टम को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
तनाव कम करें: तनाव या चिंता के कारण पेशाब समस्याएं बढ़ सकती हैं, इसलिए ध्यान और धारणा आधारित प्रैक्टिस जैसी तकनीकें अपनाएं।
स्वास्थ्यपरीक्षण: यदि समस्या बनी रहती है, तो आपको अपने चिकित्सक से संपर्क करके जाँच करवानी चाहिए ताकि सही निदान और उपचार किया जा सके।
ध्यान दें कि यह सामान्य सुझाव हैं और आपके व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर चिकित्सक की सलाह लेना हमेशा अच्छा होता है।