बेहोशी का कारण – मस्तिष्क के सामान्य कार्यों में किसी चोट या बीमारी के कारण उत्पन्न होने वाली संवेदनशीलता की कमी को बेहोशी या मूर्च्छा की स्थिति कहा जाता है। शरीर में अन्य बीमारियों व गंभीर आघात के परिणामस्वरूप भी बेहोशी की स्थिति पैदा हो जाती है।
लक्षण – अर्द्ध-मूर्च्छा की स्थिति में रोगी बातचीत का जवाब नहीं दे पाता, आंखों को खोला नहीं जा सकता। मूर्च्छा की स्थिति में शरीर बेजान-सा पड़ा रहता है। शरीर में कोई हरकत नहीं होती। जब तक डाक्टर आये, सिर के नीचे तकिया हटा दें तथा पैर थोड़े ऊपर कर लेने चाहिए। कुछ भी पिलाने की चेष्ठा नहीं करनी चाहिए क्योंकि रोगी का दम घुटता है। वस्त्र ढीले कर देने चाहिए।
बेहोशी दूर करने का घरेलू उपचार
– पुदीने की खुशबू से बेहोशी दूर होती है।
– गर्मी से बेहोशी होने पर हाथ-पैरों पर सूखा सेंक करना चाहिए।
– पीपल के चूर्ण को मधु के साथ चाटने तथा पीपल की फली को जल में घिसकर नेत्र में लगाने से मूर्च्छा टूटती है।
– बेहोशी मूर्च्छा में सेंधा नमक का गाढ़ा घोल नाक में टपकाने से मूर्च्छा समाप्त हो जाती है।
– कोई बेहोश हो गया हो तो अरहर की दाल का चूर्ण गाय के मूत्र में घिसकर आंखों में सुरमे की तरह लगायें।
– बिजली गिरने से व्यक्ति बेहोश हो जाये तो सिर तथा चेहरे पर तुलसी का तेल मलने से होश आ जायेगा।
– गर्मी के कारण व्यक्ति बेहोश हो गया हो, सिरदर्द हो, खीरे के सिरे को काटकर उसे रोगी को सुंघायें। बेहोशी दूर हो जायेगी और उसका सिरदर्द भी जाता रहेगा।
– बेहोशी में 6 ग्राम अजवायन खाने से होश आ जाता है।
– प्याज के नियमित सेवन से पाचन-क्रिया ठीक रहती है। भूख भी बढ़ती है। इसके रस को सुंघाने पर बेहोशी दूर होती है। सिरदर्द भी दूर होता है।
– मूर्च्छा या बेहोश होने पर प्याज का रस सुंघाने पर होश आ जाता है।
– तुलसी के पत्तों को पीसकर नमक मिलाकर, उसका रस नाक में डालने से बेहोशी, मूर्च्छा में लाभ होता है।
– मूर्च्छा, बेहोशी होने पर चेहरे पर ठण्डे पानी के छीटें देने से होश आ जाता है।
बेहोशी के दौरान चिकित्सक से परामर्श कर लेना आवश्यक होता है। उपरोक्त नुस्खे प्राथमिक उपचार के रूप में अपनाए जा सकते हैं।