हाथ पैर सुन्न होने का कारण – एक ही स्थिति में बैठे रहने से रक्त वाहिनियों और मांसपेशियों के दबने से सामान्य रूप से शरीर का वह भाग सुन्न हो जाता है। रक्तप्रवाह में बाधा या धीमापन आने से भी सुन्नता आ जाती हैं। कई बार किसी अंग को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिल पाये तो शरीर का वह हिस्सा सुन्न हो जाता है।
लक्षण – हल्की झनझनाहट, धीरे-धीरे संज्ञा-शून्य, सुई चुभाने पर उस अंग में अनुभूति न होना आदि लक्षण हैं।
हाथ पैर सुन्न होने का घरेलू उपचार
(Hath Pair Ka Sunn Hona Gharelu Nuskhe)
– बहुत से लोगों को अंग विशेष सुन्न पड़ जाने की शिकायत रहती है। जो अंग बार-बार सुन्न पड़ जाता है उसमें पपीते के बीजों को पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर धीरे-धीरे पन्द्रह दिनों तक मालिश करने से लाभ होता है।
– प्रात: उठते ही बिना कुछ खाये-पिये सोंठ और लहसुन की दो पुतियां छीलकर चबा लें, ऊपर से पानी पी लें। 10 दिन तक यह प्रयोग करें। ध्यान रहे जिन्हें लहसुन खाने से कोई कष्ट हो वे इस प्रयोग को न करें।
– सोंठ की एक गांठ और लहसुन की एक गाँठ लेकर सिल पर पानी का छींटा देकर पीसकर लेप-सा बना लें। इस लेप को उस अंग पर लगायें जो सुन्न पड़ जाता हो। 10 दिनों तक यह प्रयोग नित्य एक बार करते रहें, लेप सूखने पर उतार दें। शून्यता में लाभ मिलेगा।
– दो चम्मच बड़े नारियल तेल में दो बूंद जायफल का तेल डालकर मिला लें। त्वचा की शून्यता (सुन्न होना) वाले अंग पर यह तेल लगाकर मालिश करने से त्वचा की शून्यता दूर होती है।
– शुंठी 1 गाँठ और लहसुन 1 गाँठ लेकर सिल पर पीस लें। पानी का छींटा देकर लेप बना लें। जो अंग सुन्न पड़ता (सो जाता) हो, उसके ऊपर अच्छी तरह लेप कर दें।
– जिन लोगों के पैर बार-बार सो जाते हैं उन लोगों को पैरों के तलवों में तेल की मालिश करने से उनमें स्थिरता रहती है।
हाथ पैर सुन्न होने का होमियोपैथिक उपचार
ऐवेना सेंटाइवा – अंगों का सुन्नपन, मानो पक्षाघात ग्रस्त हो गये हों। हाथों की शक्ति का ह्रास और स्नायविक दुर्बलता दूर करके नींद लाती है। सिरदर्द, थकान, अनिन्द्रा, भूख की कमी, चिन्ताएं प्रमुख लक्षण हैं। मूलार्क 10 से 20 बूंद गर्म पानी के साथ नित्य सुबह-शाम दो बार दें ।
सिकेल 30 – पांव सुन्न हो जाते हों और उनमें ऐंठन में लाभप्रद है।