लकवा का कारण – इसका प्रमुख कारण है उच्च रक्त चाप। जिसके कारण रक्त शरीर के ग्रसित भाग में बराबर नहीं पहुँच पाता है।
लक्षण – इसमें शरीर के एक तरफ के अंग, जैसे एक तरफ का हाथ, एक तरफ का पैर, एक तरफ की आधी जीभ, एक तरफ का आधा चेहरा, एक तरफ की आँख इसी तरह अन्य अंग रोगग्रस्त हो जाते हैं।
लकवा का घरेलू उपचार
( Lakwa ka gharelu ilaj )
– विष मीठा -1 तोला (सिंगियां), संखिया (विष तेलिया) 1 तोला, मालकांगनी आधी छटांक, धतूरे के बीज 2 तोला, कायफल 2 तोला, गोमची सफेद 1 तोला, गूगन 8 तोला, नारियल का तेल आधा किलो, अरण्डी का तेल आधा किलो, पाव भर अलसी का तेल।
– तेल सिद्ध कर लें। बचे घोल को जमीन में गाड़ दें।
– यह तेल पक्षाघात के साथ गठिया के रोगियों के लिये भी फायदेमंद रहता है, अत: इस तेल से गठिया रोगियों का उपचार भी किया जा सकता है।
– सौंफ 1 तोला, सौंफ की जड़ डेढ़ तोला, अनीसून 1 तोला, अजमोद 1 तोला, बाबूना 1 तोला, कुसकददूस 1 तोला, बालछड़ 1 तोला, नकछिकनी 1 तोला।
– जौ कूट याने मोआ-मोआ कूटकर एक सेर जल में उबालकर जब आधा पाव जल रह जाये तब उसमें 1 छटांक शहद, चार आना भर केसर मिलाकर लें।
– 15 दिन तक नित्य दवा दिन में दो बार लेते रहें।
– कलौंजी के तेल की मालिश करने से लकवे में लाभ होता है।
– सौंठ और उड़द उबालकर इसका पानी पीने से लकवा ठीक हो जाता है।
– कालीमिर्च पीसकर तेल के साथ लकवे में मालिश करें।
– लकवा होने पर शरीर को कैल्शियम अधिक देना चाहिए। उबलते हुए 1 औस पानी में शहद की दो चम्मच डालकर कुछ ठण्डा होने पर रोगी को पिलाते रहने से कैल्शियम पर्यात मात्रा में मिल जाता है। 100 ग्राम शहद प्रतिदिन खिलायें। इस प्रकार तीन सप्ताह तक देते रहने से लकवाग्रस्त अंग कार्य करने लगते हैं।
– तुलसी के पत्ते उबालकर रोगग्रस्त अंग को भाप देने से लाभ होता है। तुलसी के पत्ते, सेंधा नमक, दही सबको पीसकर लेप करें।
– अंगूर, सेव, बब्बूगोशा अथवा नाशपाती का रस समान मात्रा में देने से लकवा मारे शरीर में नई स्फूर्ति का संचार होगा, रोगी को दिन में दो बार पिलाते रहें।
लकवा का होमियोपैथिक इलाज
काली-फॉस 3x – इस रोग की प्रधान औषधि है। स्नायविक निर्बलता, मूत्राशय का पक्षाघात, शारीरिक सुस्ती व पलकों के गिरने आदि लक्षणों में बहुत लाभ करती है।
मैग्नेशिया-फॉस 3x – शारीरिक सुनता, शरीर के विभिन्न भागों में घूमने वाला पक्षाघात तथा विसर्प के लिये इसे दें।
मिश्रित योग – काली फोस 3x, मैग्नेशिया-फॉस 3x तथा साइलीशिया 12x – यह पक्षाघात की व्याधि में अत्यन्त लाभप्रद योग्य है।
कॉस्टिकम व जेलसीनियम अच्छी औषधियां हैं, फिर भी चिकित्सक से पूछ लेना चाहिए।