प्रकृति – शीतल और तर।
मधुमेह – सेम में इन्सुलिन पाया जाता है तथा रेशा बहुत होता है, जो मधुमेह की चिकित्सा में लाभदायक है। मधुमेह के रोगी को कच्ची सेम का रस एक-एक कप नित्य दो बार पीना चाहिये। सेम की सब्जी खानी चाहिये।
दमा, गले.की खराबी से खाँसी, अजीर्ण, अम्लपित्त होने पर सेम का रस नित्य दो बार पीना लाभदायक है। सेम, पत्तागोभी, शलगम – इन सभी को समान मात्रा में मिलाकर रस निकालकर एक-एक कप दो बार पीने से लाभ होता है।
रक्तशोधक – सेम रक्तशोधक है, फुर्ती लाती है, शरीर मोटा करती है।
तोरई के फायदे
प्रकृति – शीतल और तर।
बवासीर – तोरई बवासीर ठीक करती है। इसकी सब्जी खायें, क्योंकि यह कब्ज़ दूर करती है।
पेशाब की जलन को तोरई ठीक करती है और पेशाब खुलकर लाती है।
टिन्डा के फायदे
प्रकृति – शीतल और तर।
बीमारी की अवस्था में टिन्डे की सब्जी खाना लाभदायक है।
शक्तिवर्धक – यह मस्तिष्क और शरीर को ताकत देता है एवं मोटा बनाता है।
उच्च रक्तचाप को टेिन्डा कम करता है। पेशाब लाता है।
ज्वर – हल्के बुखार को यह ठीक कर देता है।
परवल के फायदे
परवल का साग खुजली, कोढ़, रक्तविकार, अाँखों को बीमारियों में उपयोगी है और कृमिनाशक है। पुराने बुखार में यह अधिक लाभदायक है।
ज्वर – परवल की चाय, परवल का उबला हुआ पानी ज्वर उतारने में तत्काल सहायक है।