सेलेनियम होम्योपैथी का उपयोग
( Selenium Homeopathy In Hindi )
(1) यौवनावस्था में स्त्री-सहवास या हस्त-मैथुनादि कुकर्मों द्वारा वीर्यक्षय से उत्पन्न कमजोरी आदि – जननांगों पर इस औषधि का विशेष प्रभाव है, और होम्योपैथी में अति-विहार, स्त्री-सहवास तथा हस्त-मैथुन आदि कुकर्मों से उत्पन्न होने वाले दोषों में इसका प्रयोग किया जाता है। इस औषधि का प्रमुख लक्षण असामान्य-दुर्बलता है। रोगी वीर्य-क्षय तथा सेक्स-संबंधी कुकर्मों आदि से इतना कमजोर हो जाता है कि कुछ काम नहीं कर सकता। शारीरिक-दृष्टि से ही वह दुर्बल नहीं हो जाता, मानसिक-कार्य भी वह नहीं कर सकता। स्टैनम में भी कमजोरी पायी जाती है, परन्तु वह कमजोरी छाती तक सीमित है, रोगी को छाती में कमजोरी अनुभव होती है। शारीरिक-कमजोरी सबसे अधिक आर्सेनिक में पायी जाती है, उसमें मानसिक-उत्तेजना बनी रहती है; सेलेनियम में तो रोगी शक्तिहीन, नि:सत्व, जीवन-शून्य हो जाता है। टाइफॉयड आदि में अगर इस प्रकार की कमजोरी पायी जाय, तो सेलेनियम को नहीं भूलना चाहिये। अत्यधिक वीर्य-नाश, अप्राकृतिक या अति-मैथुन आदि से कमजोरी में इससे लाभ होता है। इन अवस्थाओं में रोगी नपुंसक हो जाता है। बैठे-बैठे या पखाने में जोर लगाने पर प्रोस्टेट-ग्लैंड का स्राव निकल पड़ता है।
(2) नपुंसकता – रोगी में भोग की प्रबल इच्छा बनी रहती है, परन्तु शरीर से वह नपुंसक हो जाता है। इच्छा अधिक परन्तु शक्ति कम। स्त्री-सहवास के समय जननेन्द्रिय शिथिल हो जाती है। रोगी कामावसाद का शिकार हो जाता है। कामोत्तेजक विचार उसके मस्तिष्क में चक्कर काटा करते हैं, परन्तु शारीरिक-दृष्टि से वह नपुंसक होता है। कामोत्तेजना हल्की, अपर्याप्त होती है और वीर्य-पात झट-से हो जाता है, जिसकी अनुभूति देर तक बनी रहती है। स्त्री सहवास के बाद उसका मूड बिगड़ा रहता है। प्राय: अनजाने वीर्य अथवा प्रोस्टेट-ग्रन्थि का स्राव टपका करता है, पाखाने के समय या स्वप्न में वीर्य-क्षय हो जाता है। नपुंसकता को दूर करने के लिये इसके अलावा अन्य निम्न औषधियां हैं :
नपुंसकता-निवारण के लिये मुख्य-मुख्य औषधियां
एगैरिकस – स्त्री-सहवास के बाद कमजोरी तथा सुस्ती बढ़ जाती है, प्रत्येक सहवास के बाद रात को बड़े-बड़े पसीने आते है।
एग्नस कैस्टस – स्त्री-सहवास की इच्छा ही कम हो जाती है, पुरन्तु प्रत्येक सहवास के बाद शरीर हल्का अनुभव होता है, मनुष्य अपने को स्वस्थ अनुभव करता है। रोगी का सेक्स-संबंधी-जीवन निम्नतम स्तर पर होता है, कामोत्तेजक कल्पनाओं से भी उत्तेजना नहीं होती।
कैलेडियम – अर्ध-निद्रित अवस्था में इन्द्रिय में उत्तेजना होती है, परन्तु जागते ही समाप्त हो जाती है। कामोत्तेजक स्वप्न तो अनेक आते हैं परन्तु कामोत्तेजना नहीं होती।
कैलकेरिया कार्ब – प्रत्येक सहवास के बाद अत्यन्त कमजोरी अनुभव होती हैं – शारीरिक तथा मानसिक दोनों। नव-यौवन में जो युवक हस्त-मैथुन के शिकार हो जाते हैं उनके लिये उपयोगी है।
कोनायम – नपुंसकता की यह उत्कृष्ट औषधि है। जो लोग जबर्दस्ती काम का दमन करते हैं उनके रोगों के लिये उपयुक्त है।
लाइकोपोडियम – रोगी स्त्री-सहवास में ही सो जाता है। जो लोग वृद्धावस्था में शादी करते हैं, कामेच्छा तीव्र होती है परन्तु शक्ति नहीं होती, उनके लिये उपयोगी है।
फॉसफोरस – अति-विहार से उत्पन्न होने वाले उपद्रवों में लाभदायक है। रोगी इतना वीर्य-क्षय कर चुका होता है कि सहवास में वीर्य ही नहीं निकलता। कोनायम की तरह जबर्दस्ती काम-दमन से उत्पन्न रोगों के लिये भी यह उपयोगी है। विधवाओं में काम की अत्युग्रता के लिये भी यह उनके काम के वेग का शमन कर देती है।
सेलेनियम – काम के लिये इच्छा अधिक, परन्तु शक्ति कम। कामोत्तेजक कल्पनाएं अधिक, परन्तु शारीरिक असमर्थता।
(3) भौओं, मूछों आदि से बाल झड़ना – इस औषधि का एक विचित्र लक्षण यह है कि आंख की भौओं से, मूछों से, जननेन्द्रिय से बाल झड़ने लगते हैं।
(4) मल निकलते-निकलते लौट जाता है (कब्ज) – इसका कब्ज साइलीशिया के समान होता है। इतना कड़ा और खुश्क होता है कि निकलते-निकलते फिर पीछे को लौट जाता है। उसे हाथ की अंगुलियों से निकालना पड़ता है। आंतों की मल को बाहर धकेलने की क्रिया शिथिल पड़ जाती है, इसीलिये ऐसा होता है। मल इतना अधिक परिमाण में होता है, और इतना खुश्क होता है कि मल-द्वार फट न जाय, इसके लिये रोगी घबराया करता है।
(5) स्वर-लोप (Aphonia) – वक्ता या गायक लोग जो बहुत ऊंचे बोला करते हैं उनका गला बैठ जाया करता है। बोलते-बोलते गले में श्लेष्मा आ अटकता है जिसे – उन्हें बार-बार साफ करना पड़ता है। वक्ता या गायक खांसकर गला साफ किये बगैर न बोल पाते हैं, न गा पाते हैं। अर्जेनटम मेटैलिकम तथा स्टैनम में भी बार-बार गला साफ करने का लक्षण है।
(6) कुत्ते की-सी नींद सोना – इस औषधि की सल्फर जैसी नींद होती है। सल्फर का रोगी कुते की-सी नींद सोता है। जरा-सी आहट से जग जाता है और फिर झट सो जाता है। रात में अनेक बार जगता है, फिर सो जाता है, और जरा-सी आहट होने पर फिर जाग जाता है। दिन को तो रोगी को काम धंधे की सुध नहीं रहती, रोजगार की बातें भूली रहती हैं, परन्तु जब वह ऊँघने लगता है तब भूली हुई बातें याद आने लगती है। यह इसका विचित्र लक्षण है।
(7) शक्ति तथा प्रकृति – सेलेनियम-30, सेलेनियम 200 (औषधि गर्म-प्रकृति के लिये है)