जब फेफड़ों की नलियों में किसी कारणवश अकड़न तथा संकुचन पैदा हो जाता है, तो श्वास लेने में तकलीफ होती है। यही अवस्था श्वास रोग, दमा या अस्थमा कहलाती है। यह ज्यादातर प्रौढ़ स्त्री-पुरुषों को होता है। कभी-कभी नाक के भीतर फोड़ा बनने, उपदंश, ब्रोन्काइटिस या जरायु डिम्बकोश के रोग से भी दमा हो जाता है। इसके अलावा धूल के कण, धुआं तथा स्नायु विकारों के कारण भी दमा हो सकता है।
अस्थमा के घरेलू उपचार ( asthma ka ghera ilaj )
शलजम – शलजम, पत्तागोभी, गाजर और सेम – इन सबका रस मिलाकर सुबह-शाम दो सप्ताह तक पीने से दमा में लाभ होता है।
गेहूं – गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का रस नित्य दो बार पीने से पुराना दमा कुछ महीने में ठीक हो जाता है।
अदरक – अदरक के साथ नीबू का रस चूसें। दमा हल्का हो जाएगा।
गुड़ – जाड़े की ऋतु में गुड़ और काले तिल – दोनों के लड्डू बनाकर खाने से दमा में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
हल्दी – दमा में कफ गिरने पर नित्य तीन बार 5-5 ग्राम हल्दी की फंकी गरम पानी से लें। एलर्जिक श्वास रोग में भी हल्दी बहुत लाभप्रद है।
हल्दी को बालू में सेंक-पीसकर एक-एक चम्मच चूर्ण नित्य दो बार गरम पानी से दें। श्वास रोग दूर हो जाएगा।
सेंधा नमक – सेंधा नमक एक भाग और देशी चीनी (बूरा) चार भाग दोनों को बारीक पीस लें। आधा चम्मच चूर्ण नित्य तीन बार 100 ग्राम गरम पानी के साथ लेने से दमा में लाभ होता है।
छोटी इलायची – छोटी इलायची खाना दमा में लाभदायक है।
गाजर – गाजर का रस 135 ग्राम, चुकन्दर का रस 150 ग्राम और ककड़ी का रस 125 ग्राम – तीनों को मिलाकर पीने से दमा में काफी लाभ होता है।
लहसुन – लहसुन का रस गरम पानी के साथ देने से दमा में लाभ होता है। लहसुन की एक कली भूनकर जरा-सा नमक मिलाकर नित्य दो बार खाने से श्वास रोग ठीक हो जाता है।
शहद – एक कप गरम पानी में 10 बूंद लहसुन का रस और दों चम्मच शहद डालकर नित्य प्रात:काल दमा के रोगी को दें। अवश्य लाभ होगा।
प्याज – प्याज को कूटकर सूंघने से खांसी, दमा, गले के रोग, टॉन्सिल एवं फेफड़े के कष्ट दूर हो जाते हैं। प्याज के रस में शहद मिलाकर सूंघना भी दमे में लाभदायक है।
अंगूर – दमा होने और थूक में रक्त आने पर अंगूर का सेवन करें।
अंजीर – दमा रोग में कफ निकलने पर अंजीर का सेवन लाभप्रद रहता है।
कैथ – 12 ग्राम पके कैथ के रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर सेवन करने से दमा रोग में काफी लाभ होता है।
मौसमी – मौसमी के ताज़ा रस में आधी मात्रा में गरम जल, पिसी सोंठ, भुना जीरा एवं सेंधा नमक डालकर पीने से खांसी और दमा में लाभ होता है।
कालीमिर्च – 6 दाने कालीमिर्च और 3 ग्राम हल्दी – दोनों के बारीक़ चूर्ण को 6 ग्राम सरसों के तेल में मिलाकर प्रातः काल चाटें। यह दमा का उत्तम नुस्खा है।
कॉफ़ी – बिना दूध की गरम कॉफ़ी पीने से हृदय फैलता है और श्वास नलिका साफ़ होता है। इससे दमा का दौरा कम होकर खांसी में आराम मिल जाता है।
दमा रोग में निम्नलिखित आहार लेना चाहिए
प्रातः काल 5 बजे | एक गिलास गरम पानी में एक नीबू का रस, दो चम्मच शहद तथा एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर लेना चाहिए। |
प्रातः काल 8 बजे | गाजर का रस अथवा किसी भी मौसमी फल का रस लें। |
प्रातः काल 11 बजे | दो रोटी, एक कटोरी उबली हुई सब्ज़ी, एक कटोरी सब्जियों का सलाद, एक कटोरी दही तथा दो बड़े चम्मच अंकुरित अनाज लें। |
दोपहर 2 बजे | एक-दो रसदार फल खाएं। |
सायंकाल 4.30 बजे | एक कप सब्जियों का सूप पियें। |
सायंकाल 7 बजे | मौसम के फल 500 ग्राम तथा एक कटोरी अंकुरित अनाज का सेवन करें। |
विशेष – सब्जियों का रस तथा फलों का रस कभी नहीं मिलाना चाहिए। गाजर के रस को स्वादिष्ट तथा पौष्टिक बनाने के लिए उसमे अदरक का रस, पुदीने का रस, टमाटर का रस और चुकन्दर का रस मिलाया जा सकता है।