(1) रजोधर्म में पल्सेटिला से तुलना – साइक्लेमेन औषधि का विशेष उपयोग स्त्रियों की रजोधर्म की खराबियों में होता है। इसके रोगी का शरीर पल्सेटिला जैसा कफ-प्रकृति (Phelgmatic) का होता है। दोनों दवाओं में अपने काम के प्रति उत्साह नहीं होता, तबीयत गिरी रहती है, दु:ख, निराशा चित्त पर छाये रहती है। दोनों में रजोधर्म समय से बहुत पहले होता है, ज्यादा होता है, रजो धर्म में झिल्ली मिला हुआ काला खून निकलता है। दोनों रज-रोध-कष्ट (Dysmenorrhea) की दवाएं हैं। रज के जारी होने में दर्द होता है, दोनों में रोगिणी रक्तहीन और पीली पड़ जाती है। परन्तु इन दोनों में भेद यह है कि पल्सेटिला में प्यास नहीं रहती और रोगिणी खुली हवा पसन्द करती है, साइक्लेमेन में प्यास लगती है और रोगिणी खुली हवा पसन्द नहीं करती।
(2) रोगिणी कर्तव्य-कर्म से च्यतु हो जाने के कारण दु:खी रहती है – साइक्लेमेन औषधि का मानसिक-लक्षण यह है कि रोगिणी समझती है कि उसने अपने कर्त्तव्य को नहीं निभाया, कोई पाप किया है, उसे अन्तरात्मा धिक्कारती रहती है। रोने से ही हल्का हो जाता है, एकान्त पसन्द करती है। उन पर एक अजीब भूत सवार रहता है, वह समझती है कि उसे सब ने छोड़ दिया है, सब उसे सताने के लिये उसका पीछा कर रहे हैं।
(3) आंख के सामने धुंध, भुगने आना – आंख के अनेक रोगों के लिये यह उत्तम है। आंख के सामने भिन्न-भिन्न रंग दिखाई देने लगते हैं, कभी पीला कभी हरा, कभी स्फुलिंग, कभी धुंआ, कभी प्रकाशमान वस्तु के चारों तरफ गोला-सा, काले धब्बे, आंख के सामने पर्दा, धुंध, भुनगे, एक चीज का दो दिखाई देना, आंख में जलन, खुजली-ये सब आंख के लक्षण इस दवा में हैं।
साइक्लेमेन औषधि के अन्य लक्षण
(i) यह गर्भावस्था की हिचकी को दूर करती है।
(ii) एड़ी के नीचे जलन और दर्द को दूर करती है।
शक्ति – 3 शक्ति