व्यापक-लक्षण तथा मुख्य-रोग
(1) सिर में रक्त की अधिकता से सिर-दर्द (सन-स्ट्रोक) – इस औषधि का होम्योपैथी में प्रवेश हनीमैन के पट्ट-शिष्य कौन्टन्स्टाइन हेरिंग ने किया था। इस नाम को भी उन्होंने ही गढ़ा। यह ग्लिसरीन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से बनता हैं इसलिये ग्लिसरीन का ‘ग्ल’, ऑक्सीजन का ‘ओ’ और नाइट्रोजन का ‘न’ मिला कर उसके आगे ‘आइन’ लगा दिया गया, जिससे ग्लोनाइन-शब्द बना। यह सिर-दर्द की महान् औषधि है। लू लगने से या सर्दी से या किसी और कारण से जब सिर में रक्त की अधिकता हो जाती है, तब यह उत्तम कार्य करती है। इसका सिर-दर्द गर्दन से शुरू होता है जहां रोगी को भारीपन अनुभव होता है, और हृदय के ‘स्पन्दन’ के साथ सिर में स्पन्दन अनुभव होता है। रोगी को लगता है कि सिर बहुत बड़ा हो गया है जो उस की छोटी-सी खोपड़ी में नहीं समा रहा। स्पन्दन इतना उग्र होता है कि जिस तकिये पर रोगी ने सिर रखा होता है वह भी स्पन्दन करता दीखता है, सिर के हर स्पन्दन के साथ तकिया हिलता है। ‘सन-स्ट्रोक’ की यह मुख्य दवा है।
(2) सिर में एकदम, अचानक रक्त-संचय – रोगी को सिर में रक्त संचय और रक्त-संचार के दौरे-से पड़ते हैं। सिर में रक्त-संचार ऐसे अवसरों पर होने लगता है जब इसकी बिल्कुल संभावना नहीं होती है। रोगी सड़क पर चला जा रहा है, एकदम गर्मी की लहर मस्तिष्क में चढ़ती अनुभव होती है, चेहरा लाल हो जाता है, एकदम पसीना छूटने लगता है। रोगी चारों तरफ देखता है, किसी को पहचान नहीं पाता, चारों तरफ जो परिचित लोग हैं वे भी अजनबी से लगते हैं।
(3) परिचित स्थान को अपरिचित के समान देखता है – रोगी समझ नहीं पाता कि कहां है, जिस सड़क पर सालों आता-जाता रहा है, उसे भी नहीं पहचान सकता, स्थान की अनुभूति जाती रहती है यद्यपि अन्य सब तरह से वह ठीक होता है। यह इतमिनान करने के लिये कि वह ठीक जगह पर जा रहा है बार-बार चारों तरफ देखता है। जिस स्थान पर वह सालों में 4-5 बार आता जाता रहा है, जिन मकानों को एक ही स्थान पर देखता रहा है, उन्हें पहचान नहीं सकता। सब नया लगता है।
(4) ब्लड प्रेशर (Blood pressure) – जब लक्षण मिलते हैं, तब ओपियम तथा ग्लोनाइन ब्लड-प्रेशर की उत्तम औषधियां हैं।
(5) सिर में रक्त-संचय में ग्लोनाइन तथा मेलीलोटस की तुलना – सिर में रक्त-संचय के कारण दर्द या अन्य लक्षण होने पर मुख्य औषधियां तीन हैं : ग्लोनाइन, बेलाडोना तथा मेलीलोटस। ग्लोनाइन तथा मेलीलोटस में भेद निम्न है:
ग्लोनाइन | मेलीलोटस |
रोगी सिर नंगा रखना चाहता है, सिर पर टोपी नहीं रख सकता | रोगी सिर ढकना चाहता है, सिर पर टोपी रखना चाहता है |
सिर के बाल कटवाना चाहता है | सिर के बाल नहीं कटवा सकता |
सिर पीछे करने से दर्द बढ़ता है | सिर पीछे करने से दर्द घटता है |
आराम से पड़ा रहना चाहता है | आराम से पड़े रहने में दर्द बढ़ता है |
(6) हरकत से दर्द में वृद्धि – ग्लोनाइन का रोगी घंटों सिर पकड़ कर बैठा रहता है, जरा भी हिलता-डुलता नहीं क्योंकि जरा भी हिलने से भयंकर सिर-दर्द होता है। आराम से लेटे रहने में उसे राहत मिलती है।
(7) हृदय में भारीपन और सारे शरीर में स्पन्दन – इस औषधि की मस्तिष्क तथा हृदय पर विशेष क्रिया है। हृदय-प्रदेश में भारीपन, धड़कन और सारे शरीर में, अंगुलियों तक से नाड़ी-स्पन्दन का अनुभव होता है; ऐसा प्रतीत होता है कि धड़कन से छाती फूट पड़ेगी। रोगी हाँफने लगता है – धड़कन और हांफना एक-साथ अनुभव होता है।
(8) पुराने दमे में निम्न-शक्ति (Chronic asthma) – डॉ० डनहम अपनी ‘सायन्स ऑफ थेराप्यूटिक्स’ में लिखते हैं कि पुराने दमे में उन्होंने इस औषधि को विशेष उपयोगी पाया है। शुरू में उन्होंने 6 शक्ति की मात्रा एक रोगी को दी क्योंकि उनके पास उच्च-शक्ति की मात्रा थी नहीं। उससे रोगी को बड़ा लाभ हुआ। इसके बाद उसी रोगी को उन्होंने 200 शक्ति की मात्रा दी, प्ररन्तु उसे कुछ भी लाभ नहीं हुआ। फिर 6 शक्ति की मात्रा देने से लाभ हुआ। उनके अनुसार पुराने, दमे में निम्न-शक्ति का ग्लोनाइन अभूतपूर्व लाभ करता है।
(9) शक्ति तथा प्रकृति – 30 (दमें में 6 शक्ति या निम्न-शक्ति लाभ करती है औषधि ‘गर्म’ प्रकृति के लिये है।)