कब्ज, अजीर्ण, भोजन के कण दाँतों में फँसे रहने के कारण उनका सड़ना व अाँतों में सूजन के कारण भी मल को पूरी तरह न निकाल पाने की स्थिति में उनमें अमीबा जम जाता है, उसके कारण भी मुख से दुर्गंध आने लगती है। इस हेतु निम्न घरेलू जड़ी-बूटियों का प्रयोग करना चाहिए।
– मुख शुद्धि के लिये जायफल, जवित्री, मरवा के पुष्प, तुलसी के पत्ते समान भाग लेकर सबके बराबर गुड़ मिलाकर गोली बनाकर चूसने से मुख सुवासित रहता है।
– लाल टमाटर पर सेंधा नमक डाल कर खाने से जीभ का मैलापन दूर होता है।
– नागरमोथा के चूर्ण की एक मात्रा कुछ दिनों तक लें।
– एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर कुल्ले करें।
– गाजर, पालक, खीरा प्रत्येक का रस आधा-आधा कप पियें। एक गिलास पानी में एक नींबू का रस मिलाकर 1-2 सप्ताह तक नित्य प्रात: कुल्ला करें।
– इलायची को खस के चूर्ण के साथ पान में रखकर खाने से मुँह की बदबू दूर होती है।
– कुछ दिनों तक नियमित जीरे को भूनकर खाने से मुँह में आती बदबू दूर होती है।
– खाना खाने के बाद तुलसी के 4-5 पत्ते चबाने से दुर्गंध दूर होती है।
– जामुन के पत्तों का रस गुनगुने पानी में मिलाकर कुल्ला करने से मुख की दुर्गंध दूर होती है तथा मसूढ़े मजबूत होते हैं। दाँत के अन्य रोग भी ठीक हो जाते हैं।
– एक नींबू ताजा पानी में निचोड़कर कुल्ला करने व निचोड़े नींबू से दाँत रगड़ने से मुँह की दुर्गंध दूर होती हैं।
– मुँह की दुर्गंध, प्याज और लहसुन से मुँह की दुर्गंध आदि हरा धनिया चबाने से दूर होती है।
मुँह की दुर्गंध का बायोकेमिक/होमियोपैथी इलाज
(i) कालीम्यूर – मुँह से दुर्गंध आए। मुँह लाल फूला हुआ। गाढ़ी पानी-सी लार आए। मसूढ़े फूले हुए, रंगत सफेद या पीली। मसूढ़ों से खून आये। मसूढ़ों के आतशकी घाव, मुँह का सड़ाव के लिए उपयोगी है।
(ii) काली फॉस – मुँह के गले-सड़े घाव, मुँह से दुर्गंध आए, मसूढ़े नर्म और फूल जाएँ, गाढ़ी और नमकीन लार अधिक आए तो दें।
(iii) काली फॉस और मैग्नेशिया फॉस – दोनों हीं औषधियां सर्वश्रेष्ठ हैं। दांतों पर मैल जमी हो और मुँह से बदबू आती हो। दोनों ही औषधियां शानदार काम करती हैं।
(iv) होंठों के भीतर और होंठों के ऊपर के घाव। दातुन या ब्रश करने से मसूढ़ों से खून गिरने लगे तथा मुँह से बदबू आती हो तो साइलीशिया 12x लें।