कारण – किसी गरम तपती हुई वस्तुओं के सम्पर्क द्वारा शरीर की त्वचा और अन्दरूनी ऊतकों के प्रभावित होने को जलना या झुलसना कहते हैं। यह सम्पर्क गर्म ठोस वस्तु, गर्म द्रव जैसे-खौलता पानी, घी, तेल या भाप या अन्य गैस, सूर्य की रोशनी, अल्ट्रावाइलेट किरणें, विद्युतीय उपकरण, एक्स-रे-रेडियम या रासायनिक पदार्थों, जैसे – तेज अम्ल या तेज क्षार के रूप में हो सकता है।
लक्षण – इस प्रकार जलने या झुलसने पर तीव्र जलन होती है। छाले, फफोले पड़ जाते हैं, जिन में पानी भर जाता है। कभी-कभी ऊपरी त्वचा भी जल जाती है जिससे घाव हो जाते हैं और पीव भी पड़ जाती है।
जलने का इलाज घरेलू आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों द्वारा
(1) जल जाने पर नारियल का तेल लगाकर नमक लगा दें।
(2) कच्चे दूध में जायफल घिसकर लगाने से जले के निशान दूर हो जाते हैं।
(3) बरगद के पत्ते को दही में पीसकर जले स्थान पर लेप करें, जलन में शान्ति का अनुभव होगा और घाव भरने की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।
(4) पके बेल का गूदा जले पर लगा दें। जलन शान्त हो जायेगी, फफोला नहीं पड़ेगा।
(5) यदि जलने से फफोले पड़ गये हों तो आक के पत्तों का रस फफोलों पर लगायें फफोले बैठ जायेंगे।
(6) गूलर के पत्तों को पीसकर लगा दें। जलन जाती रहेगी, फफोले व निशान भी नहीं पड़ेंगे।
(7) आग से जलने पर दानेदार मेथी को पानी में पीसकर लेप करने से जलन दूर होती हैं। फफोले नहीं पड़ते।
(8) गेहूँ के आटे में पानी मिलाकर लेप करने से अग्नि से जले हुए पर लगाने से लाभ होता है।
(9) जीरा पानी में पीसकर लेप करने से जलन शान्त होती है।
(10) जौ जलाकर तिल के तेल में बारीक पीसकर जले हुए स्थान पर लगायें।
(11) तुलसी के पत्तों का रस 250 ग्राम, नारियल का तेल 250 ग्राम, दोनों को मिलाकर धीमी आग पर गर्म करें। तेल शेष रह जाने पर गर्म तेल में ही 12 ग्राम मोम डालकर हिलायें। तेल शेष रह जाये तब जलने के स्थान पर लगायें, यह लाभदायक हैं।
(12) मुल्तानी मिट्टी (गाचनी) को बारीक कूटकर दही में मिलाकर जले पर लेप कर दें।
(13) जल जाने पर तुरन्त तुलसी की पत्तियों को मसल कर जले हुए भाग पर लेप की तरह लगा देने पर छाला भी नहीं पड़ेगा और जलन भी दूर होगी, इससे घाव भी भर जाते हैं।
(14) गुलाब में गोपीचन्दन मिलाकर लेप करने से दाह में आशातीत लाभ मिलता है।
(15) आग से जले स्थान पर महीन नमक मसल दें। जले का दाग नहीं पड़ेगा, फफोला नहीं होगा तथा जलन तुरन्त कम हो जायेगी।
(16) आम की गुठली की गिरी पानी में पीसकर जले हुए अंग पर लेप करने से फौरन ठण्डक होती है।
(17) जले हुए अंग पर तुरन्त ग्वारपाठे के गूदे का लेप कर देने से जलन शान्त होती है और फफोले नहीं पड़ते हैं।
(18) किसी ऐसे स्थान पर जल जाएं कि वह अंग पानी के अन्दर आसानी से डुबोया जा सके जो जलने पर सादा या ठण्डे जल में वह हिस्सा तब तक डुबोए रखें जब तक जलन बिल्कुल शान्त न हो जाये। इस तरीके से न तो छाला पड़ता है और न घाव होता है।
(19) केले का गूदा जले हुए भाग पर लगाने से जलन मिटती है।
(20) मेहंदी के पत्तों को पानी या सरसों के तेल के साथ पीसकर जले हुए स्थान पर लगाने से फायदा होगा ।
(22) तारपीन का तेल और कपूर बराबर मात्रा में मिलाकर लगाएं। तुरंत आराम मिलेगा |
(23) जले भाग पर शहद का लेप करना लाभदायक होता है।
(24) अनार की पत्तियों को पीसकर जले हुए भाग पर लगाने से जलन शांत होती है।
(25) चौलाई के पत्तों के साथ घास पीसकर लुगदी बनाकर जले स्थान पर लगाएं।
(26) आलू को पीसकर उसकी लुगदी लगाने से भी आराम मिलता है।
(27) नमक का गाढ़ा घोल जले स्थान पर लगाने से जलन शांत होती है और छाले नहीं पड़ते।
(28) करेले के रस को रुई की सहायता से जले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है।
(29) शहद के साथ लौंग पीसकर लगाने से जख्म नहीं बनता।
(30) पीपल की छाल का बारीक पाउडर बनाकर रख लें। जलने पर इसे लगाने से घाव में आराम मिलता है।
(31) नारियल के पानी को अलसी के तेल के साथ पकाकर लगाना चाहिए।
(32) बेर की कोमल पत्तियों को दही के साथ पीसकर लगाने से जलने के निशान नहीं रहेंगे।
(33) इमली की लकड़ी को जलाकर उसकी राख नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से जख़्म ठीक होगा।
(34) बरगद के कोमल पत्तों को गाय के घी में पीसकर लगाने से आराम मिलता है।
(35) जले स्थान पर ग्वारपाठे (घृत कुमारी) का गूदा लगाने से जलन शान्त होती है तथा फफोले (छाले) भी नहीं उठते हैं।