भारत औषधियों का भंडार है। नाना प्रकार की जड़ी बूटियाँ अनेको उपचार की प्रणालियों से सम्पन्न। आज हम ऐसी ही एक औषधि की चर्चा करेंगे “मूसली”। भारत की एक बहुचर्चित औषधि जिसका उपयोग बहुतायत होता है देश से विदेश तक। इसका मुख्य कारण यह है की इसमें समाये इसके प्राकृतिक गुण। इसका सबसे प्रमुख औषधीय गुण यह है कि यह शारीरिक दुर्बलता को, शारीरिक पतन को बिना किसी भी नुकसान के मिटाता है और शरीर को उन्नत और ताकत प्रदान करता है। पौरुष शक्तियों को बढ़ाने उन्हें शारीरिक क्षमता प्रदान करने में मदद करता है और उन्हें शक्ति प्रदान कर उनकी दुर्बलता को नष्ट करता है। मूसली का मूल रूप से जड़ का इस्तेमाल किया जाता है। इसका मुख्यता उपयोग यौन सम्बन्धी रोगो के उपचार के हेतु किया जाता है। पुरुषो में होने वाले यौन सम्बन्धी विकारो को मूल रूप से नष्ट कर उन्हें स्फूर्ति प्रदान करता है। मूसली एक बड़ी ही उपयोगी औषधि है इसका प्रयोग कई रोगो का समाधान रामबाण की तरह करता है, ऐसे ही इसका उपयोग इतने बड़े पैमाने पर नहीं होता। पुरुषो में होने वाले यौन रोगो के लिए यह एक बेहतरीन दवा है, शीघ्रपतन, वीर्य विकार जैसे रोगो को दूर करने व शुक्राणुओ की वृद्धि में सहायक है। सफेद मूसली के अत्याधिक लाभ के कारण ही इसका उपयोग वियाग्रा और जिनसेन से भी अधिक किया जाता है। सफेद मूसली एक प्राकृतिक व सुरक्षित कामोद्दीपक औषधि है। यह अभ्यंतर अंगो को तरुण रखता है।
मूसली पाक, चूर्ण, या अन्य जड़ी-बूटियों के साथ योग बनाकर प्रयोग किया जाता है :
- वानस्पतिक नाम : Chlorophytum Borivilianum
- पारिवारिक नाम : Liliaceae
- दवा के रूप में हिस्सा इस्तेमाल : जड़, कन्द
- पर्यावास : उत्तरी और पश्चिमी भारतमूसली के प्रमुख घटक कार्बोहाइड्रेट (41%), प्रोटीन (8-9%), सैपोनिन (2-17%), फाइबर (4%), 25 से अधिक एल्कलॉइड, विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, स्टेरॉयड, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फिनोल, रेजिन, पोलीसेकराईडस आदि हैं. इसका प्रयोग विभिन्न शक्तिवर्धक दवाओं में, स्वास्थ्य और सेक्स टॉनिक आदि के निर्माण में होता है, इसमें सेक्स पॉवर बढ़ाने की क्षमता है।
सफेद मूसली के लाभ :
- यह शीघ्रपतन, अल्प शुक्राणुता अथवा इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसे रोगो में लाभप्रद है।
- यह वीर्य उत्पादन की मात्रा के बढ़ाने में भी सहायक है।
- सफ़ेद मूसली नपुंसकता के उपचार हेतु बेहतरीन औषधि है।
- यह बांझपन और यौन सम्बन्धी रोगो के उपचार करती है।
- सफ़ेद मूसली गर्भस्थ शिशु व माँ दोनों के लिए लाभप्रद है , सफ़ेद मूसली के सेवन से गर्भस्थ महिला को सम्पूर्ण आवश्यक धातु व तत्व प्रदान करती है अथवा इसके इसके सेवन से माँ के दूध की मात्रा भी बढ़ती है।
- इसका प्रयोग मधुमेह जैसे गंभीर रोग के उपचार में भी किया जाता है। सफ़ेद मूसली का सेवन इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाता है।
- महिलाओ मैं होने वाली प्रदर रोग की समस्या के समाधान हेतु इसका प्रयोग होता है, जिससे योनि में होने वाली परेशानिया जैसे निकलने वाला बदबू दार व सफ़ेद पानी का इलाज करने में मदद करता है।
- इसका सेवन शरीर को ऊर्जा क्षमता प्रदान करता है।
- इसका सेवन शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
- इसका सेवन प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है।
- सफ़ेद मूसली का प्रयोग रक्ताल्पता व जीर्ण ज्वर के इलाज के लिए भी किया जाता है।
- मूसली का प्रयोग शरीर के वजन को भी बढ़ाता है और शरीरिक दुर्बलता को भी नष्ट करता है।
मूसली पाक से होने वाले नुकसान :
सफ़ेद मूसली के सेवन के आमतौर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं है। परन्तु हर आयुर्वेदिक औषधि का अत्यधिक सेवन शरीर की कोई न कोई क्षति अवश्य पहुचाता है। इसका अत्यधिक सेवन शरीर के पाचन तंत्र के लिए हानिकारक है। यह पेट सबंधी समस्याओ को बढ़ाता है। यह पेट सबंधी समस्याओ को बढ़ाता है और उदर विकार होने के कारण शरीर बीमारियों का घर बन जाता है। मूसली पाक का अत्यधिक सेवन आपके शरीर में कफ दोष तो उत्पन्न कर सकता है और आहार नली मैं स्निग्धता को बढ़ा सकता है।
मूसली पाक हेतु आवश्यक सामग्री व निर्माण विधि :
मूसली पाक में मुख्य घटक सफेद मूसली है। यह शारीरिक शक्ति सुधारने के अति हितकारी सिद्ध हुई है।सामग्री – असगंध, सफेद मूसली, काली मूसली, कौंच के बीज, शतावर, ताल मखाना, बीजबंद, जायफल, जावित्री, ईसबगोल, नागकेशर, सोंठ, गोल मिर्च, लौंग, पीपर कमलगट्टे की गिरी, छुहारे, मुनक्का, चिरोंजी सब 50-50 ग्राम, मिश्री सवा दो किलो, घी 400 ग्राम।
निर्माण विधि:
मिश्री और घी को छोड़कर शेष सारी औषधियों को अलग-अलग कूटपीस कर कपड़े से छान लें। मिश्रण को खोए (मावा) जैसा अर्द्ध ठोस बनाने के लिए उबालें।फिर मावा में गाय का घी मिलाएँ। इसे तबतक पकाएं जब तक यह भूरे रंग का ना हो जाए। अब मिश्री की पतली चाशनी बनाकर उतार लें और सारी दवा इसमें डालकर अच्छी तरह मिलाकर उपर सोने व चांदी का वर्क मिला दें। और कांच के बर्तन या मर्तबान में सुरक्षित रखें।
मात्रा अथवा सेवन विधि :
वयस्क : 3 से 24 ग्राम
वृद्धावस्था(60 वर्ष से ऊपर ) : 3 से 6 ग्राम
सेवन विधि :
दवा लेना का उचित समय भोजन के 2 से 3 घंटे बाद, दिन में दो बार सुबह और शाम , दूध के साथ इसका प्रयोग करे। आप के स्वास्थ्य अनुकूल मूसली पाक की उचित मात्रा के लिए आप अपने चिकित्सक की सलाह लें।