आलेट्रिस फैरीनोसा का लाभ और उपयोग
अमेरिका के एक प्रकार के पौधे की जड़ से टिंचर तैयार होता है। दुर्बल और क्षीण-शरीर स्त्रियों के गर्भाशय की किसी भी बीमारी के साथ प्रदर और कब्ज रहना और साथ ही पाचन शक्ति का घटना, भोजन के बाद कष्ट, पेट में भार इत्यादि लक्षण रहने पे इससे विशेष लाभ होता है।
यह औषधि बहुदा स्त्रियों के काम आती है, विशेषकर अत्यधिक रक्तस्राव होने पर। ये अत्यधिक रक्तरुनाव मासिक धर्म के साथ हो सकता है या गर्भपात होने के साथ भी हो सकता है। स्त्रियों के गर्भाशय की किसी भी बीमारी के साथ यदि प्रदर, कब्ज, पाचन शक्ति का घटना, भोजन के बाद पेट में वजन मालूम देना आदि लक्षण हो, तो इससे विशेष लाभ होता है।
इसका एक विशेष लक्षण है कि रोगिणी हर समय कुछ काम न करके लेटना पसंद करती है ‘She would like to lie down All day and do nothing But Rest’ रोगिणी का रंग पीला होता है, ऐसी कमजोर महिलाएँ जब गर्भवती होती हैं तो उन्हें पेट का दर्द और वमन आदि से पीडित होना पड़ता है, इस औषधि का ज्ञान होने से पहले उपरोक्त दशा में क्रियोजोट का प्रयोग किया जाता था। डा० कैन्ट ने एक उदाहरण देकर समझाया है कि किसी रोगिणी को बहुत तेजी के साथ आधी रात के समय रक्तस्राव होता था जो इतनी अधिक मात्रा में होता था कि रोगिणी बोलने में भी असमर्थ रहती थी उसे खांसने में चलने से, सोते समय अनेच्छिक मूत्रक स्त्राव हो जाता था, उसे आलेट्रिस फैरीनोसा देने से (45000 शक्ति) वह ठीक हो गयी।
अमाशय एंव मलात्र – रोगी को भोजन में रुचि नही होती, थोड़ा सा भोजन खाने से भी कष्ट होता है रैक्टम अर्थात मलांत्र में मल त्याग की शक्ति समाप्त हो जाती है। जिसके कारण वह मल से सम्पूर्ण रूप से भर जाती है। उसका मल बहुत कठोर एंव लम्बा होता है, जो बड़ी कठिनाई से और दर्द के साथ बाहर निकलता है।
महिलाएँ – नियमित समय से पूर्व एंव अधिक परिमाण में होने वाले ऋतुस्राव के साथ प्रसव जैसी पीड़ा (बेला, कमो, काली-कार्बो, प्लैटी) स्राव रुका हुआ और कम मात्रा में (सेनेशियो)। जरायु भारी मालूम होती है। जरायुभ्रंश के साथ दायें वंक्षण (inguinal) प्रदेश में दर्द। कमजोरी और रक्ताल्पता के कारण प्रदर, गर्भपात की प्रवाणता, सगर्भता के दौरान पेशियों में दर्द।
संबन्ध – हेलोनियस, बार-बार गर्भस्राव और गर्भस्राव के लक्षणों में बाइबर्नम प्रतिफोलियम और बाइबर्नम ओपुलस।
मात्रा – Q, 3x व तीन शक्ति।.