धवल या श्वेत कुष्ट ( leucoderma ) और उपदंश रोग में शरीर के चमड़े से मछली के चोयटें जैसे दरोरे या चकत्ते निकलने पर कुछ दिनों तक इसका सेवन कराया जाय तो – इस दवा से लाभ होगा।
घुटनों के जोड़ों में दर्द, प्रत्यंग आदि का पक्षाघात की तरह सुन्न पड़ जाना, श्वास-प्रश्वास में कष्ट, स्वरयंत्र का क्षय रोग इत्यादि में यह लाभदायक है।
ऐसा महसूस होता है जैसे छाती में कोई सुई अन्दर से बाहर की ओर निकाली जा रही हो, माथे के दाईं ओर भी ऐसा ही होता है। कान के पीछे बर्छी लगने जैसा दर्द, श्वास लेने में कठिनाई। गुप्त अंगों की निकटवर्ती त्वचा छिल जाती है।
श्वेत कुष्ट एवं पट्ट की उपदंश ( squamous syphilides ) गृघ्रसी ( Sciatica ) तथा घुटनों के चारों ओर दर्द।
शरीर में कमजोरी महसूस करना, कंपन्न होना और लड़खड़ाना इस तरह के रोग में आर्सेनिकम सल्फ्यूरेटम फ्लैवम बहुत लाभ करता है।
मात्रा – 3 शक्ति का विचूर्ण। 6, 30 शक्ति .