[ Red Starfish ] – जो व्यक्ति मोटे थुलथुले और जिनकी प्रकृति साइकोटिक (प्रमेह-विष-दूषित) है, उन पर इसकी क्रिया बहुत जल्द प्रकट होती है। स्नायु विकार, हिस्टीरिया कोरिया (ताण्डण रोग) इसी औषधि के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं। इसमें शरीर के बाईं तरफ ही रोग का हमला अधिक होता है। यह औषधि स्तन कैंसर, बल्कि सभी स्थानों के कैंसर पर निश्चित रूप से अपना असर करती है। स्त्री और पुरूषों दोनों में ही बढ़ी हुई कामोत्तेजना पायी जाती है।
चरित्र गत लक्षण
- मस्तिष्क में रक्त की अधिकता सिर दर्द प्रात: काल आरम्भ होता है, दिन में नहीं रहता, शाम को फिर आरम्भ होना।
- स्तन कैंसर उसमें खोचा मारने जैसा दर्द।
- रजोधर्म के पहले स्तनों का फूल जाना
- माथा गरम रहना जैसे उस पर आग रखी हो।
- मामूली बात से चिढ़ना
- चाल अस्थिर, पेशियां इच्छानुसार काम नहीं करती
- मिर्गी का दौरा आरम्भ होने के 4-5 दिन पहले ही समुचा शरीर फड़कने लगता है।
- स्त्रियों में बहुत अधिक कामेच्छा का होना।
- बांये हाथ व अंगुलियों का सुन्नपन
- कब्ज, पाखाने की हाजत होना, किन्तु पाखाना जाने पर न होना, मल सख्त तथा गेंद की तरह गोल
- अतिसार – बहुत भोंक से पतले दस्त।
वक्षस्थल – बायें स्तन, बायें हाथ में स्नायु शूल का दर्द, छाती की हड्डियों के नीचे और हत्पेशियों में दर्द, बायां हाथ ऐसा मालूम होता है जैसे भीतर की ओर तना और खिंचा हुआ है, बायें हाथ का दर्द, हाथ के भीतरी भाग से अंगुली के अगले भाग तक चला जाता है।
बांया हाथ और उसकी उँगलियाँ सुन्न पड़ जाती हैं। स्तन का कैन्सर और घाव और उसमें तेज दर्द, बगल की गांठ फूल जाती है।
स्त्री रोग – मासिक ऋतुस्राव आरम्भ होते ही शूल का दर्द (colic) और अन्यान्य सभी उपसर्ग घट जाते हैं, कक्षा ग्रन्थियां (axillary glands) सूज जाती हैं, कठोर हो जाती हैं और उनमें गांठे बन जाती हैं।
चर्म रोग – स्निग्घत और लचीलेपन (elasticity) का अभाव, खुजली वाले दाग, घाव, जिनमें दुर्गन्धित स्राव होता है। विचर्चिका (Psoriasis) एवं भैंसिया दाद (herpes zoster) मुहांसे। रात को और नम मौसिम में वृद्धि।
स्नायवीय रोग – चलने के समय इच्छानुसार चल नहीं सकता, पेशियों का इच्छा के अनुसार कार्य न करना, अपनी इच्छा से हाथ-पैर न घुमा सकना।
सम्बन्ध – स्तन के कैन्सर में – आर्स, कोनियम, कार्बो ऐनि, और मिर्गी रोग में – सल्फर, कैल्करिया, बैल इत्यादि।
शक्ति – 3, 6, 200।