यह दवा ओट ( oat ) वृक्ष से तैयार होता है। यह भी अल्फाल्फा की तरह एक बलवर्धक दवा है और किसी प्रकार की शरीर को क्षय या कमजोर करने वाली बीमारी के बाद इसके सेवन से शरीर जल्दी पुष्ट होता है और रोगी सबल होता है।
यह औषधि मस्तिष्क एवं स्नायु प्रणाली पर विशेष क्रिया करती है। शरीर को किसी प्रकार के क्षय या कमजोर करने वाली बीमारी के बाद इसका सेवन करने से शरीर जल्दी पुष्ट और रोगी सबल हो जाता है। इसकी मुख्यता निम्न है – समस्त स्नायु और मस्तिष्क, मस्तिष्क का काम करने के कारण स्नायविक सुस्ती, रतिशक्ति का घटना, नींद न आना, उद्वेग, अनजाने में वीर्य का निकल जाना, बहुत दिनों तक व्यर्थ वीर्य क्षय के कारण ध्वजभंग (impotency) और शराब पीने से उत्पन्न स्नायु रोग की एक प्रमुख औषधि है। इसका सेवन करने से अफीम और मार्फिया की आदत छूट जाती है और किसी प्रकार की हानि नहीं होगी। मिर्गी, डिफ्थेरिया के बाद होने वाला पक्षाघात, हृदय का आमवात। सर्दी-जुकाम, तरुण नजला (गुनगुने पानी में 20, 20 बूदों की कुछ मात्रायें) 1-1 घन्टे बाद दें।
सिर – स्त्रियों को मासिक धर्म के समय होने वाले स्नायविक सिरदर्द के साथ खोपड़ी पर जलन। पश्चकपालीय सिरदर्द (occipital headache) के साथ पेशाब में फास्फेट पदार्थ एवं कष्टार्तव (dysmenorrhoea) के साथ दुर्बल रक्त संचार।
पेट – पेट में अधिक वायु होकर पेट फूलना, स्नायुशूल का दर्द, कई घण्टे के बाद ही ऊपरी पेट में इसी ढंग का दर्द होना, बार-बार पीले रंग के दस्त आना, मलद्वार में जलन का होना।
सम्बन्ध – तुलना कीजिए अल्फाल्फा टॉनिक (डा० बोरिक की बनाई हुई) इसका दिन में तीन बार सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
मात्रा – 10 से 20 बूंदो की मात्रा, गरम पानी में अधिक लाभदायक।