यह रोग मादा एनिफेलिस मच्छर के काटने से होता है । इसका प्रकोप वर्षा के मौसम में अधिक होता है। इसमें प्रारम्भ में ठंड लगकर कॅपकॅपी आती है । ठण्ड के साथ शरीर में दर्द, बेचैनी, वमन, प्यास, हाथ-पैर ठंडे हैं । पसीना देकर बुखार उतरता है पर कभी-कभी 23 दिन छोड़कर आने लगता है।
इपिकाक 30- मलेरिया ज्वर में डॉ० जाह का उल्लेख करते हुये डॉ० नैश लिखते हैं कि अगर किसी दवा का विशेष लक्षण समझ में न आये तों मलेरिया ज्वर की प्रारम्भिक अवस्था में इपिकाक का प्रयोग करना चाहिये। लगती । इसे 30 शक्ति या आवश्यकता के अनुसार उच्च शक्ति में भी दिया जा सकता है । –
अर्टिका यूरेन्स Q- डॉ० बर्नेट, मलेरिया ज्वर की अवस्था में इस दवा को दिया करते थे। उन्होंने मलेरिया ज्वर से पीड़ित कई रोगियों को अर्टिका यूरेन्स मूल अर्क में देकर सफलतापूर्वक ठीक किया था । आगे वे यह भी लिखते हैं कि इस दवा से अनेक रोगी ठीक नहीं होते अतः नैट्रम म्यूर भी देनी पड़ सकती हैं । इससे मलेरिया पूरी तरह ठीक हो जाता है । रक्त परीक्षण कराकर रोग समाप्त होने की सन्तुष्टि अवश्य कर लेनी चाहिये ।
नैट्रम म्यूर 30, 200– नमक से बनी यह एक ऐसी औषधि है जिसका प्रभाव जहाँ शरीर के पोषण लवण विकारों पर होता है वहीं मानसिक रोगियों पर भी यह सफलतापूर्वक कार्य करती है । इतना ही नहीं, साधारण नमक के लवण से बनी इस दवा में मलेरिया प्रतिरोधी अद्भुत क्षमता होती है जिसके कारण मलेरिया ज्वर में यह अच्छा काम करती है । इसके रोगी को 1011 बजे के बीच ठंड लगकर ज्वर आता है। ऐसी स्थिति में इसकी छ: गोली एक काँच की बोतल में डालकर पानी भर दें, फिर बोतल हिलाकर एकएक चम्मच पानी दिन में दो-तीन बार देते रहना चाहिये । पानी देने से पूर्व बोतल को हिला लें । गर्भवती स्त्रियों पर उच्चशक्ति का प्रयोग नहीं करना चाहिये । यदि एलोपैथिक दवाओं या कुनैन के प्रयोग से मलेरिया बुखार दब जाये और बाद में इसके उद्भेद नजर आयें और बुखार पुनः आ जाये तो ऐसी अवस्था में यह दवा सफलतापूर्वक कार्य करती है और एलोपैथिक दवाओं के दुष्परिणामों को ठीक कर देती है ।
मलेरिया के ताप को कम करने के लिये- मलेरिया ऑफिसिनेलिस 1xमलेरिया के तेज बुखार को कम करने के लिये इसका सेवन कराने से तुरन्त ताप कम हो जाता है ।
पुराने मलेरिया ज्वर में- एजाडिरेक्टा इण्डिका Q, 1x, 2x- नीम से निर्मित इस दवा का प्रयोग सदियों से मलेरिया निवारण में होता आया हैं। है) में होता है । कुनैन के अपव्यवहार के कारण होने वाली विकृति में भी यह एक उत्तम व सफल दवा हैं । इसको दिन में दो-तीन बार प्रयोग करना चाहिये, कुछ ही दिनों में लाभ होगा ।