विभिन्न प्रकार के मानसिक उपसर्गों में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग हितकर सिद्ध होता है :-
विषाद-वायु रोग के साथ विभिन्न लक्षणों के रहने पर
(1) नए विषाद वायु रोग में – नेट्रम-म्यूर, इग्नेशिया।
(2) विषाद-वायु के साथ आक्जेल्यूरिया के उपसर्ग में – आक्जेलिक-एसिड, नेट्रम-म्युरियेटिक एसिड ।
(3) विषाद-वायु के साथ यकृत-दोष में – सिमिसिफ्यूगा, लैकेसिस, लिलियम-टिग, प्लैटिना ।
(4) विषाद-वायु के साथ बेहोशी के लक्षणों में – कार्डुअस-मेरियानस, नक्स-वोमिका, पल्सेटिला, मर्क ।
(5) विषाद-वायु के साथ बेहोशी के लक्षणों में – बैप्टीशिया, ओपियम, हेलिबोरस, विरेट्रम-विरिडि।
(6) विषाद-वायु के साथ आत्म-हत्या की इच्छा में – आरम-मेट ।
(7) विषाद-वायु के साथ आत्म-निग्रह की चेष्टा में – आर्सेनिक ।
(8) नीद न आना, बेचैनी, स्नायविक-दुर्बलता, गहरी चिन्ता का भाव, ब्रह्मतालु में दर्द अथवा भार का अनुभव, सन्देह तथा जरायु की गड़बड़ी के साथ उन्माद-रोग के लक्षण में – सिमिसिफ्यूगा 1x ।
(9) स्मरण-शक्ति की कमी, मानसिक-खिन्नता, सुस्ती, उत्साह-हीनता, दुबला-पतला शरीर होने पर भी राक्षसी-भूख तथा एकान्तवास (लोगों से अलग रहने) की इच्छा वाले लक्षणों में – आयोडियम ।
(10) विषाद-वायु के रोगी को यथार्थ में कोई बीमारी न होना परन्तु उसका स्वयं को बीमार ही समझते रहना तथा रात-दिन स्वस्थ होने की चिन्ता करते रहना, प्रत्येक वस्तु को अधिक अनुभव करना, किसी के द्वारा पूछ-ताछ या बातचीत करने पर दु:खी होना, अजीर्ण के लक्षण तथा चिड़चिड़ा सवभाव होना, इन उपसर्गों में – नक्स-वोमिका 6, 30 ।
(11) तीव्र ज्वर के बाद अथवा युवावस्था में उत्पन्न होने वाले विषाद रोग में – हेलिबोरस 3 ।
(12) शारीरकि तथा मानसिक उदासीनता, मानसिक-यन्त्रणा, जीवनी-शक्ति का घटना, शरीर, विशेष कर हाथ-पाँवों का ठण्डा होना तथा कपाल में ठण्डा पसीना आना, निराशा के साथ जोर-जोर से रोना, इन लक्षणों में – विरेट्रम-ऐल्ब 3 ।
(13) औंघाई तथा कब्ज के साथ विषाद-वायु रोग में – ओपियम 6, 30 ।
(14) अधिक कब्ज वाले विषाद वायु रोग में – प्लम्बम, ऐसेटिकम 6, 30 ।
(15) तीव्र ज्वर के साथ अचेतनता वाले विषाद वायु रोग में – बैप्टीशिया 1x।
(16) विषण्णता के साथ चिड़चिड़े, स्वभाव में – मर्क-सोल 6।
(17) अवसन्नता, धर्मोन्माद, अग्निमान्द्य, भयाकुलता, खट्टी डकारें आना, विषण्णता, जरा-जरा सी बात में रो पड़ना, देवता की प्रार्थना करते हुए अपने मन में यह समझना कि अपने पापकर्म के कारण मैं क्षमा योग्य नहीं हूँ तथा भविष्य की चिन्ता से परंशान रहना – इन लक्षणों से युक्त बीमारी में – पल्सेटिला 6, अथवा 30 ।
(18) बाध्य होकर बहुत दिनों बाद मैथुन करने के कारण उत्पन्न हुआ विषाद-वायु रोग, जिसमें खिन्नता के लक्षण दिखाई देते हों – कोनियम 30 ।
(19) मानसिक-अवसन्नता के साथ शरीर में बेचैनी, किसी एक अंग अथवा सम्पूर्ण शरीर में कम्पन या अकड़न के लक्षणों में युक्त बीमारी में – टैरेण्टुला 6, 30 ।
(20) अत्यधिक उदासी के उपसर्गयुक्त बीमारी में – सीपिया 30 तथा एसिड फास 3x, 200 ।
(21) हर प्रकार का इन्द्रिय ज्ञान विलुप्त हो जाने की आशंका-युक्त विषाद-वायु रोग में – कैल्केरिया-कार्ब।
(22) सामान्य-भय के लक्षणों में – सोरिनम, इग्नेशिया, ऐकोन, आर्जनाई ।
(23) उन्माद रोग होने का भय – ऐकोन, सिमिसिफ्यूगा, लिलियम-टिग।
(24) अकेले जाने में भय लगना – आर्जनाई, फास्फ़ो, लाइकोपोडियम ।
(25) भीड़ में जाने में भय लगना – ऐकोन, प्लैटिना ।
(26) अँधरे में जाने में भय लगना – स्ट्रैमो, विरेट्रम-ऐल्ब।
(27) ओले गिरने से पूर्व भय लगना – इलैप्स ।
(28) मृत्यु हो जाने का भय लगना – ऐकोन, आर्स, प्लैटिनम ।
(29) भय के कारण कोई रोग हो जाना – ऐकोनाइट, ओपियम ।
(30) भय के कारण कोई स्नायु-रोग हो जाना – इग्नेशिया।
भाव सम्बन्धी उपसर्ग
(1) अन्यमनस्कता का भाव – कैनाबिस-इण्डिका ।
(2) ईर्ष्या का भाव – ऐपिस, लैकेसिस, हायोसायमस ।
(3) उत्कण्ठा का भाव – फास्फोरस, सल्फर, आरम, ऐकोन ।
(4) उदासीनता का भाव – कार्बो-वेज, एसिड-फॉस, सिपिया, लिलियम टिग ।
(5) उन्मत्तता का भाव – जिंकम, विरेट्रम-विरिडि, लाइको-पोडियम, आर्स, बेलाडोना, हायोसायमस ।
(6) एकाएक उन्मत्तता का भाव – हायोसायमस, विरेट्रम-ऐल्ब, कैनाबिस इण्डिका।
(7) कामोन्मत्तता का भाव – हायोसायमस, एसिड पिकरिक, कैन्थरिस, फास्फोरस, प्लैटिना ।
(8) धर्मोन्मता का भाव – विरेट्रम-ऐल्ब, आर्सेनिक, सल्फर, हायोसायमस, लैकेसिस ।
(9) उद्धता का भाव – लाइकोपोडियम, विरेट्रम ऐल्ब, सल्फर, प्लैटिना।
(10) निराशा का भाव – आर्जनाई, सोरिनम, आरम ।
(11) बीमारी ठीक होने के बारे में निराशा का भाव – रसटाक्स, कैल्के, सोरिनम ।
(12) विद्वेष का भाव – क्युप्रम ।
(13) विमर्षता का भाव – रसटाक्स, सल्फर, लिलियम-टिग, लाइकोपोडियम, प्लैटिना, लैकेसिस, एकोन, आर्जनाई, विरेट्रम-विरिडि, नेट्रम-म्यूर ।
(14) लज्जा का भाव – स्टेफिसेग्रिया, बैराइटा-कार्ब, इग्नेशिया।
(15) सन्देह का भाव – कैनाबिस-इण्डिका, हायोसायमस, लैकेसिस, सिकेलि, स्ट्रेमो, सल्फर ।
(16) मानसिक-बेचैनी का भाव – आर्जनाई, कैमोमिला, काफिया, हायोसायमस, सिमि, इग्नेशिया, स्ट्रैमो, फास्फोरस , ऐकोन ।
(17) मर्माहत होने का भाव – एसिड-फॉस, ऐकोन, इग्नेशिया।
(18) चिड़चिड़ा स्वभाव – ऐल्यूमिना, स्टैफिसेग्रिया, सल्फर, आरम।
(19) झगड़ालू स्वभाव – नक्स-वोमिका, इग्नेशिया, सल्फर।
(20) बकवादीपन का स्वभाव – स्ट्रैमो, लैकेसिस, बेलाडोना।
(21) जल्दबाजी का स्वभाव – ऐसिड-फास।
(22) मानसिक भावों का निरन्तर बदलते रहना । क्रोकस – (ऐसा प्रतीत होना कि पेट में कोई जीव घूम रहा है), डिजिटेलिस – (दु:ख व भय की व्याकुलता से) ।
अन्य उपसर्ग
अत्यधिक अनुभूति – इग्नेशिया, काफिया, बोरैक्स ।
अनाड़ीपन – नेट्रम-म्यूर।
अत्यधिक उद्विग्नता एवं मृत्यु-भय – सिकेलि।
आत्महत्या करने की इच्छा – नक्स-वोमिका, आर्जनाई, आरम-म्यूर, आरम-मेट, कैल्के ।
अवसाद अथवा क्लान्ति का अनुभव अथवा शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं का कुछ देर तक बन्द रहने वाला निस्पन्द वायु-रोग – कैल्के-फॉस, ओपियम, ऐनाकार्डियम, एसिड-पिकरिक।
अत्यधिक कराहना – साइक्यूटा, बेलाडोना ।
उदासीनता – जेल्सीमियम ।
अव्यवस्थित चित्त – बैराइटा-कार्ब, आरम ।
बहुत समय तक श्रृंगारिक चर्चा करने के बाद उपसर्ग – स्टैफिसेग्रिया।
ज्यादा चुप रहना – एसिड-फॉस, विरेट्रम-ऐल्ब, पल्सेटिला, सल्फर।
किसी एक ही विषय का उन्माद – हायोसायमस, साइक्यूटा, कैनाबिस-इण्डिका ।
खामखयाली – स्टैफिसेग्रिया, कैमोमिला ।
धारणाशक्ति की कमी – एसिड-फॉस, एनाकार्डियम, हेलिबोरस।
स्मरण-शक्ति की कमी – एसिड-फॉस, बैराइटा-कार्ब, एनाकार्डियम, इथूजा, हायोसायमस ।
बदला लेने की प्रवृत्ति – हायोसायमस, लैकेसिस, मर्क, नक्स-वोमिका, आर्जनाई।
झगड़ालू अथवा अश्लील व्यवहार – हायोसायमस ।
क्रोध के कारण उत्पन्न रोग – कैमोमिला ।
विषण्णता, उन्मत्त जैसा आचरण, आवेगयुक्त गति – इग्नेशिया ।
मन का छटपटाना – आर्जनाई, स्टैनम, मर्क, एकोन ।
सोते या जागते में एकाएक ओर से चिल्ला उठना – एपिस ।
भौंचक (हतबुद्धि) रह जाना – कैनाबिस-इण्डिका, नक्स-वोमिका, एनाकार्डियम, आर्जनाई ।
थोड़े में ही चौंक उठना – नक्स-वोमिका, स्ट्रैमो, फास्फो, बोरैक्स, बेलाडोना, एकोन, कैमोमिला, इग्नेशिया ।
उन्मत्तता-सी अनुभव होना – लिलियम-टिग, प्लैटिना।
प्रचण्ड अथवा काम-विषयक उन्मत्तता – कैंथरिस।
उन्माद रोग होने का भय – सिमिसिफ्यूगा, लिलियम-टिग, ऐकोन।
स्वयं की जिन्दगी को धिक्कारना – ऐण्टिम-क्रूड, चायना, थूजा, आरम।
मन में दो विरोधी इच्छाओं का एक साथ होना – ऐनाकार्डियम ।
लोगों के साथ रहने की इच्छा – लाइकोपोडियम ।
लोगों के साथ न रहने की इच्छा – नेट्रम-म्यूर।
बेहोश हो जाना – हेलिबोरस, जिंक-म्यूर, हायोसायमस, कैनाबिस-इण्डिका।
किसी मानसिक कष्ट को दबाये रखने के कारण हो जाने वाला मानसिक रोग – इग्नेशिया।
बहुत दिनों तक शोक-मग्न रहने के कारण होने वाला शारीरिक रोग – एसिड फास ।
दु:ख के साथ आँखों में आँसू भर आना – पल्सेटिला, लिलियम-टिग, सीपिया ।
दु:ख के कारण किसी संगीत या वाद्य-यन्त्र को सुनकर आँखों में आँसू भर आना – थूजा ।
दु:ख के कारण रात भर रोना – इण्डिगो ।
एकाएक ईर्ष्या के कारण उत्पन्न हुए उपसर्ग में – ओपियम, काफिया।
अनहोनी बातों का सोचना – कैमोमिला, प्लैटिनम ।