यह एक प्रकार का मियादी व संक्रामक ज्वर हैं । यह टाइफाइड ज्वर से मिलता-जुलता होता है। टाइफाइड ज्वर में दस्तों की प्रधानता होती है जबकि मोह ज्वर में मस्तिष्क ज्वर की प्रधानता होती है। इस रोग में एकाएक ज्वर 103 डिग्री से 107 डिग्री तक हो जाता हैं । सिर में दर्द होने लगता है, रोगी बेहोश हो जाता है, रोगी का शरीर काला या नीला पड़ने लगता है। एक सप्ताह में ही रोगी के शरीर पर छोटी-छोटी बैंगनी रंग की पुंसियाँ निकल आती हैं और कभी-कभी इन पुंसियों से रक्त-स्राव भी होने लगता है जिससे रोगी को बहुत कष्ट होता है ।
एकोनाइट 30– रोग की प्रथमावस्था में लाभप्रद है ।
रसटॉक्स 6, 30– जबकि रोग साधारण अवस्था में हो तो केवल इसी दवा का प्रयोग लाभप्रद है ।
बेलाडोना 30- अन्य लक्षणों के साथ अगर मस्तिष्क के उपसर्गों की प्रधानता हो तो इसका प्रयोग करना चाहिये ।
लैकेसिस 30- रोगी का रक्त दूषित होने लगे तब इसका प्रयोग करें।
आर्निका 30- फुन्सियाँ अगर बैंगनी रंग की हों और सुस्ती व घबराहट के लक्षण भी हों तो इस दवा का प्रयोग करें ।
ऐगरिकस मस्केरियस 30– पेशियों का कॉपना और सिकुड़ना, बेचैनी आदि लक्षणों में प्रयोग करनी चाहिये ।