इस रोग में शरीर की चमड़ी का रंग पीला नजर आने लगता है। रोगी की आँखें तथा नाखूनों का रंग पीला पड़ जाता है। मूत्र भी पीला आने लगता है। यदि यह रोग अधिक बढ़ जाता है तब रोगी को सब कुछ पीला ही-पीला नजर आने लगता है। रोगी का पसीना पीला निकलने लगता है। यही पीलिया या पाण्डु रोग है ।
यहाँ पीलिया या पाण्डु रोग का अंग्रेजी दवा बताया गया है :-
इंजेक्शन इम्फेरान एफ 12 (टाटाफिशन कंपनी) – 1 मि.ली. मांस में प्रतिदिन अथवा एक दिन बीच में छोड़कर लगायें । इन्जेक्शन जेक्टोफर भी इसके समान गुणों से युक्त इंजेक्शन बाजार में उपलब्ध है ।
इंजेक्शन हिमाफोलीन (सिपला कंपनी) – 1 मि.ली. मांस में प्रतिदिन अथवा एक दिन बीच में छोड़कर लगायें ।
इंजेक्शन नियोप्रोलेक्स (बी. आई कंपनी) – 1 मि.ली. मांस में प्रतिदिन अथवा एक दिन बीच में छोड़कर लगायें ।
इंजेक्शन हिपानिमा फोर्ट (जी. डी. फार्मा) – 1 मि.ली. मांस में प्रतिदिन अथवा एक दिन बीच में छोड़कर लगायें ।
इंजेक्शन केम्पोफेरान (बायर कंपनी) – 1 मि.ली. मांस में प्रतिदिन अथवा एक दिन बीच में छोड़कर लगायें ।
इंजेक्शन बीजेक्टिल विद लीवर (अब्बट कंपनी) – 1 मि.ली. मांस में प्रतिदिन अथवा एक दिन बीच में छोड़कर लगायें ।
कैपसूल आटरिन (लेडरले कंपनी) – एक कैपसूल प्रतिदिन एक बार ।
कैपसूल प्लास्टटयूल्स विद बी-12 (जोहन वाइथ कंपनी) – एक कैपसूल तीन बार ।
कैपसूल डूमासूल्स (डयूमेक्स कंपनी) – एक कैपसूल दिन में 2 बार ।
कैपसूल हिमाट्रीन (सैण्ड्रोज कंपनी) – एक कैपसूल दिन में 1-2 बार ।
कैपसूल थेराग्रान एच. पी. (साराभाई कंपनी) – एक कैपसूल दिन में 2 बार ।
कैपसूल हिफ्टयूल्स (मैकलैब्स कंपनी) – एक कैपसूल दिन में 2 बार ।
कैपसूल फेसोफरस्पनस्यूल (एस. के. एण्ड एफ. कंपनी) – एक कैपसूल दिन में 1-2
यह गर्भावस्था जन्य पाण्डुता में विशेष उपयोगी है। फेफोल के नाम से भी इसी के समान गुणकारी कैपसूल बाजार में उपलब्ध है।
टैबलेट फेराफोलिण्डन (इण्डो फार्मा कंपनी) – एक टैबलेट दिन में 2-3 बार भोजनोपरांत।
टैबलेट मैक्राफोर्लिन आयरन (ग्लैक्सो) – एक टैबलेट दिन में 3 बार भोजन के बाद ।
यूनिहेम 12 (यूनिकेम कंपनी) – 1-2 टैबलेट दिन में 3-4 बार ।
फैरेट्स (टी. सी. एफ.) – 1-2 टैबलेट दिन में तीन बार ।
फेरोनिकम (सैण्डोज कंपनी) – 1-2 टैबलेट दिन में 2-3 बार ।
डेक्सोरेन्ज सीरप (ग्रिफानलैब्स) – 3 चम्मच दवा भोजन से पहले दिन में 2-3 बार । बच्चों को 1-2 चम्मच दें । अल्केम कम्पनी का हेमफर तथा हेप के नाम से उपलब्ध सीरप भी इसी के समान गुणकारी है ।
टोनीफेरान (ईस्ट इण्डिया कपंनी) – यह ड्राप्स के रूप में उपलब्ध है। बच्चों को 5-10 बूंद दिन में तीन बार दें।
नियोफेरम ड्राप्स (डूफार) – बच्चों को सेवनीय । प्रयोगविधि उपर्युक्त ।
हेपाटोग्लोबिन सीरप (रेपटॉक्स) – 2-2 चम्मच दिन में 3 बार ।
फ़ोलीनेट बी-12 (एलेम्बिक) – 10 मि.ली. भोजनोपरान्त (वयस्को को) तथा बच्चों को 1 चम्मच दिन में 2 बार ।
लिबीबोन (Livibnon) सीरप (पार्क डेविस) – 1-2 चम्मच भोजन से पूर्व ।
रैनफेरोन 12 (रैनबक्सी कंपनी) – एक चम्मच दिन में तीन चार बार ।
रेरीकाल सस्पेंशन (इथनार) – 1 चम्मच दिन में 1-2 बार ।
रूब्राप्लेक्स (साराभाई) – 1-2 चम्मच भोजन से पूर्व ।
रूब्राटोन (साराभाई) – प्रयोग विधि उपर्युक्त ।
नोट – लिवीब्रोन के नाम से कैपसूल भी उपलब्ध है। रैरीकाल संस्पेंशन बच्चों की रक्ताल्पता में विशेष रूप से उपयोगी है। वयस्कों के प्रयोगार्थ रैरीकाल के कैपसूल बाजार में उपलब्ध हैं ।