[ सिलिकेट ऑफ़ लाइम ] – नैट्रम सल्फ की तरह जलीय धातु, जरा से में सर्दी लग जाना, ठण्ड सहन नहीं होना (हिपर की तरह) तथा जो बहुत कामजोर रोगी, शीत से कातर किन्तु अधिक गर्मी पड़ने से बीमार हो जाते है, ऐसे आदमियों के बीमारी में – यह ज़्यादा फायदा करती है। इसकी बीमारी खूब धीरे धीरे पैदा होती है और बीमारी अन्तिम सीमा तक पहुँचते-पहुँचते बहुत दिनों का समय लग जाता है। बच्चों की आकृति धीरे-धीरे छोटी हो जाती है।
मानसिक लक्षण – कुछ भी याद नहीं रहता, मन दृढ़ नहीं रहता, रोगी अस्थिर, क्रोधी, यहाँ तक की अपने पर विश्वास नहीं रख सकता और डरपोक हो जाता है।
नीचे लिखी गयी बीमारियों में इसका व्यवहार होता है :-
- सिर में चक्कर आना किन्तु चाँद में गरम के बदले ठंडक रहना
- नाक से पीले रंग की गाढ़ी सर्दी (श्लेष्मा) निकलना
- भोजन के बाद पेट फूलना
- वमन और डकार आना
- जरायु का बहार निकल आना, श्वेत- प्रदर, दर्द करने वाला अनियमित ऋतू, दो ऋतू के बीच के समय में रजः स्त्राव
- श्वासयन्त्र की बीमारी में – ठंडी हवा सहन न होना, साँस लेने और छोड़ने में तकलीफ, वायुनली का पुराना उपदाह, पीले, हरे रंग का श्लेष्मा अधिक परिमाण में निकलना
- सोरा – दोष के उदभेद, उनमे खुजली और जलन।
सद्दश – आर्सेनिक, आयोडीन,बैराइटा कार्ब, ट्यूबर्क्युलिनम।
क्रम – निम्न से उच्च-शक्ति।