[ अमेरिका की एक तरह की लता या लता जैसे पौधे से टिंचर तैयार होता है। डॉ ग्रिण्डेल बोटैनिस्ट के नामानुसार इसका नाम – ‘ग्रिण्डेलिया’ रखा गया है ] – ग्रिण्डेलिया वक्षःस्थल की कई बीमारियों की महौषधि है। न्यूमोगैस्ट्रिक-नर्व के बीच से क्रिया करके यह श्वासपेशी में पक्षाघात पैदा कर देती है।
क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, ब्रॉन्को-निमोनिया इत्यादि कई बीमारियों में अत्यन्त श्वासकष्ट ( difficult breathing ), बिछावन पर सो न सकना, खांसी, बहुत ज्यादा मात्रा में लसदार बलगम निकलना और तब इस कष्ट का घटना – ये लक्षण रहने पर इससे ज्यादा फायदा होता है। हूपिंग खाँसी में जब लसदार बलगम निकलता है तब इससे फायदा होता है। हृत्पिण्ड की किसी बीमारी में सोये-सोये सांस रुक जाने के लक्षण और उसकी वजह से कलेजा धड़क उठना, सांस छोड़ने के लिए रोगी का व्याकुल हो उठना। प्लीहा खूब बड़ी हो जाना, प्लीहा में तेज दर्द होना, दर्द जाँघ तक उतर आना और उसकी वजह से रोगी का बेचैन हो जाना।
सदृश – लैकेसिस, सैंगुनेरिया।
क्रम – Q से 12 शक्ति।