[ एक तरह के पौधे का मूल अर्क ] – मुँह और निम्नांग के स्नायुशूल के दर्द में यह फायदेमंद है। सायटिका – सायटिका स्नायु जहाँ तक गयी है, वहाँ तक अर्थात कमर से उरु के पिछले भाग होकर पैर की एड़ी तक जोर से दर्द, यदि इस दर्द के साथ सुन्न हो जाने के लक्षण रहें, या एक बार दर्द और एक बार सुन्न, इस तरह होता रहे, तो – इस प्रकार की सायटिका की यह उत्तम औषधि है। पैर के अंगूठे में वात की तरह दर्द तथा स्त्रियों के थोड़ा रजःस्राव होना और पेट भारी मालूम होना तथा दर्द के साथ बाधक-पीड़ा हो, तो उसमे ‘नैफेलियम’ फायदा करती है।
पुराना कमर का दर्द ( lumbago ) जो विश्राम से घटता हो, उसमे भी यह फायदा करती है।
पेट के अंदर भड़भड़-गड़गड़ शब्द, पेट में जगह-जगह शूल का दर्द और बच्चों के हैजा की पहली अवस्था के कै-दस्तों में यह फायदेमंद है।
सदृश – कैमोमिला, पल्सेटिला, जैन्थकजाइलम।
क्रम – 3 से 30 शक्ति।