यह रोग किडनी में पथरी, कंकरिया पैदा हो जाने से होता है। जब पथरी की छोटा या बड़ा टुकड़ा किडनी से निकलकर मूत्र प्रणाली के रास्ते से मूत्राशय में जाता है तो रोगी को कठिन ऐंठनयुक्त दर्द होता है। इसी को किडनी-शूल कहते हैं ।
किडनी में दर्द का उपचार
दर्द को दूर करने के लिए कमर पर ईंट से सेंक पहुँचायें अथवा रोगी को कमर तक गरम जल के टब में बैठायें । यदि गरम जल के स्थान पर नीम के पत्तों का गरम-गरम काढ़ा हो तो अधिक लाभकारी सिद्ध होता है ।
दर्द के समय रोगी को जौ का पानी, अलसी के बीजों का पानी अथवा हल्की चाय बार-बार अधिक मात्रा में पिलाना लाभकारी है।
दर्द होने पर फलालेन की 4 तह बनाकर काफी गरम पानी में डुबो और निचोड़कर पीठ पर किडनी के स्थान पर (रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर 11वीं पसली के नीचे कमर के स्थान पर) रखकर किसी मोटे कपड़े से भली प्रकार ढक दें ताकि गरम भाप न निकलने पाये तथा फलालेन का दूसरा कपड़ा तैयार रखा जाए ताकि पहले टुकड़े की गर्मी घटते ही उसको रखा जा सके। अन्त में तमाम स्थान को सूखे कपड़े से साफ़ कर लें।
रोगी को गरम पानी के टब में इस प्रकार बैठा दें कि उसका पेट और गुप्तांग पानी में हो (छाती और बाकी शरीर पानी से बाहर रहे) मूत्र आने पर रोगी कुछ समय तक रोके रखे, फिर पानी में जोर से मूत्र निकाले ताकि कंकर, रेत या पथरी मूत्र जोर से करने के साथ ही निकल जाये। कई बार बिस्तर में लेटे-लेटे इधर-उधर करवट बदलने से भी पथरी किडनी में आपस चली जाती है अथवा मूत्राशय में आसानी से पहुँच जाती है।
कैस्टर ऑयल 30 मि.ली. गरम दूध में मिलाकर पिलायें और एक लीटर गरम पानी में 12 ग्राम साबुन घोलकर 30 मि.ली. कैस्टर ऑयल मिलाकर एनीमा करें।
किडनी में दर्द होने पर वायजेसिक, निर्माता वाईथ – दो टिकिया आवश्यकतानुसार दिन में 2-3 बार दें ।
नोट – आरफेनाड्रिन के एलर्जिक रोगियों तथा आत्महत्या या दुर्घटना प्रधान रोगियों में इसका प्रयोग न करें ।
पायरीस्पाम : किडनी के दर्द की तीव्र दशा में एक कैपसूल दिन में 2-3 बार दें अथवा इसी का सीरप 5 से 10 मि.ली. दिन में 2-3 बार पिलायें।
नोट – यकृत की अतिशय, गर्भावस्था में तथा अल्कोहल के साथ इसका प्रयोग कदापि ने करें ।
Baralgan Tablet : निर्माता-हैक्स्ट । इसकी टैबलेट, इन्जेक्शन तथा ड्रॉप्स उपलब्ध है जो किडनी के दर्द में परम उपयोगी है ।
आजकल मार्फिया के बदले बेलाफोलिन निर्माता सैण्डोज के एक एम्पुल का चर्म में इन्जेक्शन और क्लोरोप्रेमाजीन 25 से 30 मि.ग्रा. का मांस में इन्जेक्शन लगाकर चिकित्सक किडनी के दर्द के रोगी को रोगमुक्त कर प्रशंसा प्राप्त कर रहे हैं।
Fortwin Injection (रैनबैक्सी लेबोरेटरीज), फोर्टाजेसिक (बिन मेडकेयर) यह दर्द नाशक है।
Cyclopam Tablet (इण्डोको) – यह गोलियाँ मूत्राशय और किडनी की पथरियों को तोड़कर मूत्र द्वारा निकाल देती हैं । एक गोली भोजन से पूर्व दोनों समय खिलाये।
मॉर्फिन टैबलेट – 15 मि.ग्रा., एट्रोपीन 0.6 मि.ग्रा. का चर्म में इन्जेक्शन लगा देने से दर्द तुरन्त दूर हो जाता है । आवश्यकता पड़ने पर 4 घण्टे के बाद दूसरा इन्जेक्शन लगाया जा सकता है।
यदि रोगी ऑपरेशन कराने पर तैयार न हो अथवा रोगी ऑपरेशन के अयोग्य हो, तो ऐसी अवस्था में उसको ऐण्ठन दूर करने वाली और मूत्र लाने वाली दवायें दें । रोगी को पानी अधिक मात्रा में पीने हेतु निर्देशित करें । इससे कई बार पथरी घिस-घिसकर निकल आती है।
एल्बूनल : आवश्यकतानुसार 5 या 25% का सॉल्यूशन शिरा में 100, 50 या 10 मि.ली. या 250 मि.ली. की मात्रा में दें।
नोट – उच्च रक्तचाप, हृदयरोग तथा बहुत अधिक बूढ़ों में इसका प्रयोग न करें ।
गैरामाइसिन : निर्माता-फुलफोर्ड । रोगी की आयु तथा रोग की दशानुसार 3 से 5 मि.ग्रा. प्रति किलोग्राम शारीरिक भार के अनुसार मांस या शिरा में प्रतिदिन 3 मात्राओं में बाँटकर 7 से 10 दिन तक इन्जेक्शन लगायें । गर्भावस्था में इसका प्रयोग न करें।
बुमेट : 1 से 4 मि.ग्रा. टिकियों के रूप में (एक टिकिया 1 मि.ग्रा.) प्रतिदिन प्रयोग करायें ।
लैसिक्स : निर्माता-हैक्स्ट । 40 मि.ग्रा. की एक टिकिया 20 से 120 मि.ग्रा. की मात्रा में (केवल एक मात्रा) प्रतिदिन खिलायें । इसे हर तीसरे दिन भी दे सकते है। तीव्र दशा में इसका 20 से 40 मि.ग्रा. का मांस या शिरा में प्रतिदिन इन्जेक्शन लगायें।