इसको डॉक्टरी में मूत्राशय अश्मरी और पित्त वाली को पित्ताशय अश्मरी को कहते हैं । पथरी मूत्राशय में होने पर रोगी को वृक्क शूल की भाँति तड़पा देने वाला दर्द होता है । यह दर्द मूत्राशय, गुर्दा और वृषणों के मध्य के स्थान (सीवन) और पुरुषों के लिंग की सुपारी तक में होता है । यह दर्द मूत्र करते समय अथवा मूत्र करने के बाद बहुत बढ़ जाता है । बार-बार गाढे रंग का मूत्र आता है। पथरी मूत्राशय मुख में फंस जाने पर मूत्र रुक-रुक कर आने लगता है अथवा बिल्कुल नहीं उतरता है। पथरी काफी समय तक मूत्राशय में पड़ी रहने से मूत्राशय का आकार व उसकी रचना बिगड़ जाती है ।
मूत्राशय की पथरी प्रायः बच्चों, युवकों और दुबले-पतले मनुष्यों को हो जाया करती है। यह प्रायः भूरी या सफेद होती है और ज्वार के दाने से लेकर मुर्गी के अण्डे के बराबर तक हो सकती है ।।
बच्चों को पथरी होने पर मूत्र करने के बाद रोते और मूत्र त्याग करते समय उनके चेहरे पर कष्ट के लक्षण स्पष्ट दिखाई देते हैं । वे अपनी सुपारी (लिंग) को हाथ से मलते हैं और कभी-कभी नींद में बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं।
मूत्राशय की पथरी की अंग्रेजी दवा
नोट – आजकल बड़े-बड़े राजकीय अस्पतालों में मूत्राशय से पथरी निकालने के लिए एक विशेष प्रकार की क्रिया प्रचलित है । इस क्रिया को लिथोरिटी (Lithority) कहते हैं । इस चिकित्सा में एक डॉक्टरी यन्त्र मूत्राशय में प्रविष्ट करके यन्त्र को चलाकर पथरी को तोड़कर रेत जैसा बना दिया जाता है (इस यन्त्र को पथरी तोड यन्त्र कहते हैं) तब मूत्राशय को धोकर साफ करके उस रेत को निकाल दिया जाता है। पत्थर-तोड़ यन्त्र को अंग्रेजी में (Cystoscope) कहते हैं ।
रोगी को कैल्शियम वाले भोजन, दूध, अण्डे, मछली इत्यादि बहुत कम अथवा बिल्कुल ही न खाने दें ।
किडनी की पथरी में जो दवायें किडनी की पथरी का अंग्रेजी दवा में बताई गई हैं, वही दवाएँ इसमें भी लाभप्रद है।
सिस्टोन (हिमालय ड्रग) – 1-2 टिकिया सुबह शाम जल से दें ।
पायोपेन इन्जेक्शन (जर्मन रेमेडीज) – पेन ग्लोब टिकिया (एस्ट्रा आई. डी. एल.), राशिलीन (कैपसूल, इन्जेक्शन, पेडिएट्रिक ड्राप्स) (रैनबैक्सी कम्पनी), सेसपोर कैप्सूल (विनमेडिकेयर), बेस्कोट्रिम (ब्लू शील्ड), नेफ्रोजेसिक गोली (इथनार), ग्रामोनेग कैप्सूल (रैनबैक्सी) इत्यादि औषधियों को प्रयोग परम लाभकारी है ।
इसमें पथरी को तोड़ने और अधिक मूत्र लाने वाली दवाओं का प्रयोग लाभप्रद रहता है ।