छाछ का नियमित सेवन करने वाला कभी रोगी नहीं होता और न ही छाछ के सेवन से नष्ट हुए रोग दोबारा उत्पन्न होते हैं। जिस प्रकार देवताओं में अमृत ही जीवन है, उसी प्रकार मनुष्यों के लिए इस पृथ्वी पर छाछ अमृत स्वरूप है।
छाछ पीने वाला व्यक्ति सुदृढ़ शरीर वाला, पुष्ट, बलवान और संतुष्ट रहकर कामदेव से भी अधिक रूपवान होकर सौ वर्षों तक जीता है। इतनी लाभकारी छाछ से दूर रहना ठीक नहीं है। इसका उचित व नियमित सेवन प्रत्येक व्यक्ति को आरंभ कर देना चाहिए। मट्ठे में कैल्शियम होता है जो अस्थियों को मजबूत और जोड़ों को स्निग्ध बनाता है।
यदि कैलाश पर्वत पर तक्र (छाछ) उपलब्ध होता तो भगवान शंकर के गले का विष नष्ट हो जाता और उनका कण्ठ नीला न होता, यदि बैकुण्ठ में उपलब्ध होता तो क्या विष्णुजी काले होते? जो देवलोक में उपलब्ध होता तो इन्द्र को भगन्दर न होता, चन्द्रमा का क्षय न होता और अग्नि में इतनी दाहकता न होती। कहने का तात्पर्य यह है कि छाछ के अन्दर विष, श्यामवर्ण, भगन्दर, क्षय-रोग, मोटापा, कोढ़, दाहकता आदि विकारों को नष्ट कर देने की शक्ति होती है। इस प्रकार यह स्वर्ग के अमृत से भी ज्यादा गुणकारी है।
छाछ या मट्ठा शरीर से विजातीय तत्वों को बाहर निकालकर नव-जीवन प्रदान करता है। शरीर में रोग-प्रतिरोधक शक्ति उत्पन्न करता है। छाछ में घी नहीं होना चाहिए। गाय के दूध से बनी छाछ श्रेष्ठ होती है। छाछ पीने से जो रोग नष्ट होते हैं वे जीवनभर पुन: नहीं होते। छाछ खट्टी नहीं होनी चाहिए। पेट के रोगों में छाछ कई बार पियें। गर्मी में छाछ पीने से शरीर में ताजगी एवं तरावट आती है। नित्य नाश्ते एवं भोजन के बाद छाछ पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है एवं बनी रहती है। बाल असमय में सफेद नहीं होते।
भोजन के अन्त में छाछ, रात्रि के मध्य दूध और रात्रि के अन्त में पानी पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
मधुमेह – प्रात: भूखे पेट एक गिलास छाछ पियें। इसके बाद तत्काल ही टमाटर का एक गिलास रस पियें। तीन सप्ताह इस तरह सेवन करने से शक्कर (Sugar) सामान्य हो जायेगी।
बवासीर – एक गिलास छाछ में स्वादानुसार नमक और एक चम्मच पिसी हुई अजवायन मिलाकर पीने से हर प्रकार के बवासीर में लाभ होता है। छाछ के उपयोग से नष्ट हुए बवासीर पुन: उत्पन्न नहीं होते। सेंधा नमक ज्यादा लाभ करता है। छाछ में सिका हुआ जीरा मिलाकर पीना भी लाभदायक है।
सोंठ का पाउडर छाछ में मिलाकर सेवन करें। छोटी पीपल का पाउडर छाछ के साथ लें।
जमीकंद की सब्जी भी फायदेमंद रहती है। इसी प्रकार हरा धनिया, सौंफ, जीरा, गुलकंद, आँवला आदि विशेष लाभदायक हैं।
रक्तस्रावी बवासीर – छाछ में सेंधा नमक और सेंककर पिसा हुआ जीरा मिलाकर नित्य चार बार एक-एक गिलास पियें।
अजीर्ण, घी, तेल और मूंगफली का – घी, तेल और मूंगफली अधिक खाने से अजीर्ण होने पर, छाछ पीने से लाभ होता है।
कृमि – (1) एक दिन जलेबी खायें। इससे पेट के कीड़े सब एकत्रित हो जायेंगे। दूसरे दिन से एक गिलास छाछ में नमक मिलाकर नित्य पियें। (2) एक गिलास छाछ में सेंककर पिसा हुआ जीरा एक चम्मच, पिसी हुई कालीमिर्च आधी चम्मच और स्वादानुसार नमक मिलाकर नित्य चार बार पियें। पेट के कृमि निकल जायेंगे।
गैस – दिन के भोजन में एक बार भोजन के बाद एक गिलास छाछ में जरा-सा नमक, आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन मिलाकर नित्य 21 दिन तक पीने से गैस बनना बन्द हो जाती है। पेट हल्का रहता है।
पीलिया – छाछ में शहद मिलाकर नित्य पीने से पीलिया में लाभ होता है। जी मिचलाने पर छाछ में पोदीना मिलाकर पियें।
दस्त – (1) आधा पाव छाछ में एक चम्मच शहद मिलाकर नित्य 3 बार पीने से दस्त बन्द हो जाते हैं। (2) सौंफ, धनिया तथा जीरा-तीनों को बराबर लेकर महीन चूर्ण बना लें। उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिला लें। इसकी आधा चम्मच दिन में तीन बार छाछ के साथ सेवन करें। (3) बरगद के पेड़ की जटा को सुखाकर पीस लें। उसमें से एक चम्मच चूर्ण रोजाना एक बार छाछ के साथ सेवन करें।
पुराने दस्त – लम्बे समय से दस्त लग रहे हों, तो छाछ में सेंधा नमक, सेंका हुआ जीरा, घी में सेंकी हुई हींग मिलाकर एक-एक गिलास नित्य चार बार पियें।
भाँग का नशा खट्टी छाछ पीने से उतर जाता है।
दाँत निकलना – छोटे बच्चों को नित्य छाछ पिलाने से दाँत निकलने में कष्ट नहीं होता और दाँतों का रोग भी नहीं होता। दाँत सरलता से निकल आते हैं।
मोटापा छाछ पीने से कम होता है।
पेट के क्षय (T.B.) में छाछ का नित्य सेवन अधिकाधिक मात्रा में करें।
कब्ज़ – छाछ का एक गिलास नित्य तीन बार पीने से कब्ज़ दूर हो जाती है।
अाँतों में सूजन, गैस, अपच – गरिष्ठ भोजन से अपच होने पर खाना बन्द कर दें। छाछ में भुना हुआ जीरा, कालीमिर्च, पोदीना, सेंधा नमक पीसकर स्वाद के अनुसार मिलाकर दिन में तीन बार पियें। अपच दूर हो जायेगी। छाछ की जगह दही भी काम में ले सकते हैं।
अम्लपित्त (Acidity) – एक गिलास छाछ में आठ पिसी हुई कालीमिर्च और स्वादानुसार पिसी हुई मिश्री मिलाकर हर दो घण्टे से पाँच बार में पाँच गिलास छाछ पीने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है। पेट दर्द भूखे होने पर हो तो छाछ पीने से यह दर्द ठीक हो जाता है।
जलोदर (Ascites) – इक्कीस तुलसी के पत्ते चबाकर एक गिलास छाछ नित्य पीते रहने से जलोदर में लाभ होता है।
अपच – अपच के लिए छाछ एक औषधि है। तली, भुनी, गरिष्ठ चीजों को पचाने में छाछ लाभदायक है। छाछ ऑतों में स्वास्थ्यवर्धक कीटाणुओं की वृद्धि करती है, आँतों में सड़ांध रोकती है। छाछ में सेंधा नमक, भुना हुआ जीरा, कालीमिर्च पीसकर मिलायें, अजीर्ण शीघ्र ठीक हो जायेगा।
छाछ से कब्ज़, दस्त, पेचिश, खुजली, चौथे दिन आने वाला मलेरिया बुखार, तिल्ली, जलोदर, रक्तचाप (कमी या अधिकता), दमा, गाठिया, अर्धागघात, गर्भाशय के रोग, मलेरिया जनित यकृत के रोग, मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है।
बुढ़ापा – नित्य एक गिलास छाछ सदा पीते रहें। इससे बुढ़ापे का प्रभाव शरीर में नहीं दिखाई देगा।
नेत्र रोग – नित्य छाछ पीते रहने से बुढ़ापे तक नेत्रों की ज्योति ठीक रहती है।
वृक्क रोग – छाछ नित्य पीते रहने से वृक्क ठीक रहते हैं। वृक्कों की सफाई होती रहती है। चेहरे पर सूजन नहीं रहेगी। इसमें अजवायन मिला सकते हैं। नमक नहीं मिलायें। पेशाब में रुकावट हो तो छाछ में हरा धनिया पीसकर, मिलाकर पियें।
आधे सिर का दर्द सुबह छाछ में सेंधा नमक मिलाकर चावल के साथ खाने से ठीक हो जाता है।
यूरिक अम्ल नित्य छाछ पीने से नष्ट हो जाता है। यूरिक अम्ल घटने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।
कमर दर्द – दस कालीमिर्च और आधी गाँठ लहसुन पीसकर पतले मलमल के कपड़े में रखकर इसे निचोड़ें। जो रस निकले, उसे एक गिलास छाछ में मिलाकर, इसी प्रकार नित्य पियें। कमर का दर्द ठीक हो जायेगा।
गठिया – छाछ में समान मात्रा में पिसी हुई सोंठ, जीरा, कालीमिर्च, अजवायन, काला तथा सेंधा नमक मिलाकर एक गिलास छाछ दिन में नित्य तीन बार पियें। गठिया ठीक हो जायेगी।
शक्तिवर्धक – छाछ पीने से स्रोतों, मार्गों की शुद्धि होकर रस का भली-भाँति संचार होने लगता है। अाँतों से सम्बन्धित कोई रोग नहीं होता। नियमित छाछ पीने से शरीर की पुष्टि, प्रसन्नता, बल, कान्ति, ओज की वृद्धि होती है। पिसी हुई अजवायन, सेंधा नमक, छाछ-तीनों मिलाकर नित्य भोजन के अन्त में कुछ दिन पीने से बहुत लाभ होता है, यह अच्छी न लगे तो छाछ में कालीमिर्च और नमक मिलाकर भी पी सकते हैं।
वीर्य-वृद्धि – नियमित खाना खाने के बाद छाछ पीने से वीर्य-वृद्धि होती है।
घाव – छाछ में आम की गुठली या सूखा अाँवला घिसकर नित्य दो बार घाव पर लेप करने से घाव भर जाता है।
पित्ती (Urticaria) – 25 ग्राम पिसी हुई अजवायन एवं इतना ही गुड़ मिलाकर दो भागों में बाँट लें। एक भाग प्रात: खाकर ताजा छाछ का एक गिलास पियें तथा दूसरा भाग शाम को खाकर पानी पियें। भोजन हल्का, दलिया ही खायें। पित्ती ठीक हो जायेगी।
सीने में कफ जमकर घर्र-घर्र की आवाज आती हो तो नित्य छाछ में अजवायन पिसी हुई एक चम्मच डालकर पियें। थकान होने पर छाछ पीने से स्फूर्ति आती है।
यक्ष्मा में छाछ पीना बहुत लाभदायक है।
श्वेत प्रदर – आधा गिलास चावलों का माँड और आधा गिलास छाछ मिलाकर नित्य पीते रहने से श्वेत प्रदर ठीक हो जाता है।
सफेद दाग – बावची चार चम्मच, मूली के बीज चार चम्मच, हल्दी दो चमच, सब पीस लें। इसमें चार चम्मच बेसन और आधा कप छाछ मिला लें। सफेद धब्बों पर इसे मलें और लेप करें। यह लेप चार घण्टे लगा रहने दें। इसके बाद धोयें। कुछ महीनों यह प्रयोग करते रहने से सफेद दाग मिट जाते हैं।
बावची का चूर्ण एक चम्मच सुबह तथा शाम को छाछ से फंकी लें और एक गिलास छाछ पियें। बावची को छाछ में पीस कर सफेद धब्बों पर लेप करें। नित्य लम्बे समय तक करें। यदि किसी प्रकार का कष्ट हो तो प्रयोग बन्द कर दें। पथ्यापथ्य – खट्टे पदार्थ, लालमिर्च, गर्म प्रकृति के पदार्थ, नमक आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए या कम से कम लें।
हृदय रोग में नित्य छाछ पीने से लाभ होता है।
मोटापा – (1) छाछ मोटापा घटाती है। एक गिलास छाछ में दो चम्मच शहद डाल कर नित्य प्रात: पियें। (2) छाछ छौंक कर सेंधा नमक डालकर नित्य पियें। (3) एक चम्मच त्रिफला पाउडर छाछ से फंकी लेकर एक गिलास छाछ पियें। जो भी सरल लगे कोई सा एक प्रयोग लगातार करें।
छाछ की मात्रा – छाछ की मात्रा का कोई नियम नहीं हैं। अपनी रुचिनुसार जितनी चाहें छाछ पी सकते हैं। सामान्य रूप से बच्चे 500 ग्राम तक और बड़े एक किलो तक छाछ पी सकते हैं।