परिचय : 1. इसे एला (संस्कृत), इलायची (हिन्दी), छोर एलाच (बंगला), वेलाची (मराठी), एलची (गुजराती), इल्लाई (तमिल), इल्लाई (तेलुगु), काकुल (अरबी) तथा एलिटेरिया कार्डेमोमम् (लैटिन) कहते हैं।
2. इलायची का पौधा पत्रयुक्त होता है। इलायची के पत्ते 1-2 फुट लम्बे, 1-2 इंच चौड़े सुगन्धित होते हैं। लम्बे फूलों के डंठल पर फल लगते हैं। फलों में काले रंग के, तेज गन्धवाले बीज रहते हैं।
3. गुजरात, मैसूर आदि प्रदेशों में अधिक पायी जाती है।
4. इलायची की दो जातियाँ हैं : (क) छोटी इलायची, (ख) बड़ी इलायची।
रासायनिक संघटन : इलायची के बीजों में स्थिर तेल 10 प्रतिशत, उड़नशील तेल 5 प्रतिशत, पोटेशियम लवण 3 प्रतिशत, पीला रंजक-द्रव्य, भस्म 6-10 प्रतिशत, स्टार्च 3 प्रतिशत आदि पदार्थ मिलते हैं।
इलायची के गुण : यह स्वाद में चरपरी, मीठी, पचने पर मधुर तथा हल्की, रूखी और शीतल हैं। इसका मुख्य प्रभाव सर्वशरीर पर दाहशामक (शरीर तथा अन्य अंगों की जलन शान्त करनेवाला) रूप में पड़ता है। यह मुखशोधक, दुर्गन्धिनाशक, वमन-शामक, रुचिकारक, अग्निदीपक, हृदय-बलदायक, कफनि:सारक, मूत्रजनक, शूलहर तथा बलकारक है।
इलायची के फायदे ( elaichi ke fayde )
दाह-तृष्णा : छोटी इलायची 2 नग, बड़ी इलायची 2 नग, मुनक्का 3 नग पीसकर मिश्री डालकर देने से दाह-तृष्णा कम होती है।
शिर-शूल : छोटी और बड़ी इलायची पीसकर सिर पर लेप करने से शिर:शूल बन्द होता है।
मूत्रकृच्छू : छोटी और बड़ी इलायची को पीसकर दूध के साथ लेने से मूत्र खुलता तथा मूत्र-दाह बन्द होता है।
उल्टी – एक गिलास पानी में दो इलायची उबालें। आधा पानी रहने पर गुनगुना पियें।
पेट दर्द में दो इलायची पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से लाभ होता है।
खाँसी, दमा और हिचकी में इलायची खाने से लाभ होता है।
छाले (Stomatitis) – एक इलायची पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर लगाने से मुँह के छाले और कण्ठ के छाले ठीक हो जाते हैं।
अाँखों से पानी बहता हो तो तीन छोटी इलायची पीसकर एक गिलास दूध में उबालकर रात को पीने से लाभ होता है।
हिचकी – आधा चम्मच बड़ी इलायची के दाने सेंककर दो चम्मच चीनी में मिलाकर पीस लें। इसकी आधा-आधा चम्मच हर दो घण्टे बाद पानी के साथ फंकी लें। हिचकी बन्द हो जायेगी।