इस रोग में रोगी को बार-बार खट्टी डकारें आती हैं और उसके मुंह में खट्टा पानी आ जाता है, मुँह का स्वाद कड़वा रहता है, छाती में जलन होती है, कब्ज या अतिसार रहता है और आलस्य घेरे रहता है। यह रोग मुख्य रूप से तले पदार्थ ज्यादा खाने, मीठा ज्यादा खाने, मिर्च-मसाले युक्त पदार्थ ज्यादा खाने, शारीरिक परिश्रम का अभाव, पुरानी कब्ज, दिन में सोना रात को देर तक जागना आदि कारणों से होता है ।
कैप्सिकम 30, 200– छाती तथा पेट में जलन होना, अम्लता के समस्त लक्षण उपस्थित रहना, बार-बार डकार आना आदि लक्षणों में उपयोगी है। ध्यान रखने की बात है कि रोगी को जलन ऐसी होती है जैसे कि लालमिर्च के अति प्रयोग से उत्पन्न होती है ।
स्टैनम 30- रोगी को बार-बार खट्टी डकार आयें जिससे कि रोगी परेशान हो जाये तो यह दवा देनी चाहिये । –
कार्बोवेज 30– पेट और छाती में जलन, खट्टी डकार आयें, गैस बहुत बनती हो तो लाभ करती हैं ।
आर्सेनिक 30– खट्टी डकार आना, पेट में जलन और दर्द, मुँह का स्वाद खराब रहना, प्यास ज्यादा लगना आदि लक्षणों में लाभदायक है ।
हाइडैस्टिस केन Q- पेट की खराबी, विशेषकर कब्ज, के कारण रोग दवा लाभ करती है ।